Tax: देश में कई सारे टैक्स हैं. इनमें से एक टैक्स को Capital Gain Tax के रूप में भी जाना जाता है. Capital Gain Tax के बार में भी जानकारी होनी जरूरी है क्योंकि ये शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म के टेन्योर के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इसके बारे में...
Capital Gain: लोग इंवेस्टमेंट के लिए कई बार अलग-अलग माध्यम का इस्तेमाल भी करते हैं. इंवेस्टमेंट करने के बाद जब लोग अपने इंवेस्टमेंट को मुनाफे में बेचते हैं तो उस पर कई प्रकार के टैक्स भी लागू होते हैं. इनमें से एक Capital Gain Tax भी शामिल है. पूंजीगत लाभ (Capital Gain Tax) को किसी भी पूंजीगत संपत्ति की बिक्री से अर्जित लाभ के रूप में दर्शाया जाता है. इस तरह का लाभ इंवेस्टमेंट या रियल एस्टेट संपत्ति की बिक्री के माध्यम से आता है.
अवधि के आधार पर Capital Gain Tax शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म हो सकता है. चूंकि मुनाफे को 'Gain' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, वे टैक्सेशन के लिए उत्तरदायी हैं, जिसे Capital Gain Tax के रूप में जाना जाता है. Capital Gain Tax तब लगाया जाता है, जब संपत्ति दो लोगों के बीच ट्रांसफर की जाती है. सभी Capital Gain टैक्सेशन के लिए उत्तरदायी हैं, लॉन्ग टर्म लाभ के लिए टैक्स शॉर्ट टर्म लाभ से अलग होता है.
इसको एक उदाहरण से समझते हैं... बी ने जुलाई 2004 में 50 लाख रुपये में एक घर खरीदा. 2016-2017 के वित्तीय वर्ष में इसका मूल्य 1.8 करोड़ रुपये आंका गया. उक्त संपत्ति तीन साल से ज्यादा समय तक रखी गई थी और इसलिए इसे लॉन्ग टर्म पूंजीगत संपत्ति माना गया. वहीं बी ने ये संपत्ति 1.17 करोड़ रुपये में बेच दी. इसका मतलब है कि बी ने 63 लाख रुपये का शुद्ध कैपिटल गेन अर्जित किया. ऐसे में शुद्ध पूंजीगत लाभ पर 20% दीर्घकालिक कैपिटल गेन टैक्स वसूल किया जाएगा.
1) शॉर्ट टर्म पूंजीगत लाभ टैक्स- कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से कम समय के लिए रखी जाती है उसे अल्पकालिक संपत्ति कहा जाता है. अचल संपत्तियों के मामले में यह अवधि 24 महीने है. ऐसी परिसंपत्ति की बिक्री से उत्पन्न लाभ को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ माना जाएगा और उस पर टैक्स लगाया जाएगा.
2) लॉन्ग टर्म पूंजीगत लाभ टैक्स- कोई भी संपत्ति जो 36 महीने से अधिक समय तक रखी जाती है उसे लॉन्ग टर्म संपत्ति कहा जाता है. ऐसी परिसंपत्ति की बिक्री से उत्पन्न लाभ को लॉन्ग टर्म पूंजीगत लाभ माना जाएगा और उस हिसाब से टैक्स लगेगा.
वहीं वरीयता शेयर, इक्विटी, यूटीआई इकाइयां, प्रतिभूतियां, इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंड और शून्य-कूपन बॉन्ड जैसी संपत्ति को भी लॉन्ग टर्म पूंजीगत संपत्ति माना जाता है, अगर उन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक रखा जाता है.
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