कश्मीर को देश की राजधानी दिल्ली से सीधे जोड़ने की कवायद जोर-शोर से चल रही है. रेलवे कश्मीर के लिए स्पेशल वंदे भारत ट्रेन का निर्माण कर रही है.
कश्मीर का एक तबका है जो इस प्रोजेक्ट से डेवलपमेंट से डरा हुआ है. उन्हें डर है कि कश्मीर तक सीधे ट्रेन पहुंच जाने से उनके लिए रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो जाएगा. व्यापारिक समुदाय ने दावा किया है कि वे इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होंगे जबकि ट्रांसपोर्टरों को भी बड़ा झटका लगने की आशंका है.
जम्मू संभाग के लोगों और व्यापारियों ने इसके संभावित नतीजों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि इससे उनके व्यापार पर भारी असर पड़ेगा. उनका कहना है कि इससे प्रभावित तो सभी होंगे लेकिन ट्रांसपोर्टर सेक्टर से जुड़े लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.
एक ट्रांसपोर्टर ने कहा, "एक बार जब कश्मीर के लिए ट्रेन सेवा शुरू हो जाएगी तो अधिकांश चीजें जैसे- ईंधन और गैस ट्रेन द्वारा ले जाया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इससे लागत में कमी आएगी और घाटी के लोगों को सस्ती दरों पर चीजें मिलेंगी. साथ ही एनएच पर ट्रकों और तेल टैंकरों की आवाजाही भी कम होगी और अधिकांश सामान देश के अन्य हिस्सों से सीधे ट्रेन द्वारा कश्मीर लाया जाएगा.
फिलहाल राशन से लेकर ईंधन, बर्तन, माल, फल और अन्य जरूरी चीजें NH-44 से कॉर्मशियल वाहक और ट्रकों में कश्मीर तक पहुंचाई जा रही हैं. ईटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन जम्मू के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि कश्मीर के लिए ट्रेन सेवा लोगों और पर्यटकों के लिए फायदेमंद होगी क्योंकि उन्हें घाटी तक आसान पहुंच मिलेगी, लेकिन दूसरी तरफ ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए यह एक झटका होगा. खासकर तेल टैंकरों के लिए जो कश्मीर में ईंधन और गैस पहुंचा रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 से 15 सालों में परिवहन उद्योग में लगातार गिरावट देखी गई है. अब कश्मीर के लिए सीधी ट्रेन यह ताबूत में अंतिम कील के रूप में काम करेगा. उन्होंने दावा किया कि कॉमर्शियल पैसेंजर व्हीकल को भारी नुकसान होगा जिनकी आजीविका लोगों और खासकर पर्यटकों को कश्मीर लाने-ले जाने से आती है. ट्रेन सेवा शुरू होने पर उनके सभी वाहन जस के तस पड़े रहेंगे.
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