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Knowledge Story: प्यास से तड़पता रहता है, लेकिन नहीं पीता झील या नदी का पानी, जानें क्यों इतना खास है ये पक्षी

Chatak Bird Unknown Facts: धरती पर मौजूद करोड़ों पक्षियों में से हर एक की अपनी अनोखी पहचान है, लेकिन चातक पक्षी (Jacobin cuckoo) की बात ही कुछ और है. यह पक्षी अपने स्वाभिमान और धैर्य के लिए पहचाना जाता है. इसे जिंदा रहने के लिए पानी की जरूरत तो होती है, लेकिन यह तालाब, नदी या बर्तन का पानी कभी नहीं पीता. प्यास से तड़पने के बावजूद यह सिर्फ बारिश की बूंदों का इंतजार करता है. चातक की यह आदत न केवल इसे दूसरे पक्षियों से अलग बनाती है, बल्कि हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत भी है. चलिए जानते हैं इस खास पक्षी की अनोखी आदतों के बारे में...

 

चातक की अद्भुत जीवनशैली

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चातक की अद्भुत जीवनशैली

ये फोटो गैलरी चातक पक्षी की अद्भुत जीवनशैली और स्वभाव की झलक पेश करती है, जो इसे धरती के अन्य जीवों से अलग बनाती है. चातक अपनी खास आदतों के कारण अलग पहचान रखता है. पानी हर जीव की जरूरत है, लेकिन चातक पक्षी अपनी प्यास बुझाने के लिए सिर्फ बारिश के पानी पर निर्भर रहता है. यह तालाब, झील या नदी का पानी छूता तक नहीं.

सिर्फ बारिश का पानी पीने की अनोखी आदत

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सिर्फ बारिश का पानी पीने की अनोखी आदत

चातक पक्षी की खासियत यह है कि यह सिर्फ आसमान से गिरने वाले स्वच्छ और ताजे बारिश के पानी को ही पीता है. इसे झील या बर्तन में दिया गया पानी भी मंजूर नहीं. प्यास से तड़पने के बावजूद, यह किसी और स्रोत का पानी नहीं पीता, जो इसे अन्य पक्षियों से अलग बनाता है.

स्वाभिमानी और धैर्यवान पक्षी

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स्वाभिमानी और धैर्यवान पक्षी

कहा जाता है कि चातक स्वाभिमान और धैर्य का प्रतीक है. अगर इसे प्यास से बेचैन स्थिति में पानी के किसी स्रोत के पास भी रखा जाए, तो यह अपनी चोंच तक नहीं खोलता. इसका पूरा ध्यान सिर्फ स्वाति नक्षत्र में होने वाली बारिश के पानी पर होता है.

सबसे ज्यादा कहां पाया जाता है चातक

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सबसे ज्यादा कहां पाया जाता है चातक

यह पक्षी मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाया जाता है. भारत में इसे खास तौर पर उत्तराखंड और राजस्थान जैसे राज्यों में देखा जा सकता है. स्थानीय भाषाओं में इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे गढ़वाल में चोली और मारवाड़ में मघवा या पपिया.

 

स्वाति नक्षत्र से जुड़ा विशेष संबंध

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स्वाति नक्षत्र से जुड़ा विशेष संबंध

पौराणिक मान्यताओं और लोक कथाओं के अनुसार, चातक पक्षी का स्वाति नक्षत्र के साथ गहरा संबंध है. ऐसा कहा जाता है कि यह पक्षी सिर्फ उस नक्षत्र के दौरान होने वाली बारिश के पानी को ही पीता है. इसे शुद्धता और तप का प्रतीक भी माना जाता है.

प्रेरणा देने वाला पक्षी

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प्रेरणा देने वाला पक्षी

चातक की यह आदत हमें धैर्य और संकल्प का पाठ पढ़ाती है. यह हमें सिखाता है कि अपने सिद्धांतों और मूल्यों के साथ कैसे खड़ा रहा जाए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों.

चातक से जुड़ी पौराणिक कथाएं

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चातक से जुड़ी पौराणिक कथाएं

चातक पक्षी को लेकर भारतीय पौराणिक कथाओं और साहित्य में कई उल्लेख मिलते हैं. इसे प्रतीकात्मक रूप से संयम और तपस्वी जीवन जीने वाले ऋषियों से जोड़ा गया है. हिंदी कवियों ने भी चातक का जिक्र करते हुए इसे प्रेम और प्रतीक्षा का प्रतीक बताया है. यह पक्षी दिखने में जितना साधारण है, उसकी आदतें उतनी ही अनोखी और प्रेरणादायक हैं.

 

पर्यावरण संरक्षण का संदेश

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पर्यावरण संरक्षण का संदेश

चातक पक्षी हमें याद दिलाता है कि प्रकृति से छेड़छाड़ से जीव-जंतुओं के जीवन पर क्या असर पड़ सकता है. बारिश का पानी ही इसका जीवन है और अगर बारिश का जल दूषित हो जाए, तो इस अद्भुत पक्षी का अस्तित्व भी संकट में आ सकता है. यह पक्षी प्रकृति का अनमोल तोहफा है, जो हमें धैर्य, स्वाभिमान और पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझाता है.

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