बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वनगा को 29,574 वोटों से हराकर पालघर लोकसभा उपचुनाव जीता था.
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मुंबई: 31 मई को आए 4 लोकसभा सीटों और 11 विधानसभा उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए उत्साहजनक नहीं रहे. विपक्षी एकता बीजेपी पर भारी पड़ी. हालांकि, बीजेपी पालघर सीट वापस पाने में कामयाब रही. बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वनगा को 29,574 वोटों से हराकर पालघर लोकसभा उपचुनाव जीता था. यह उपचुनाव कई मायनों में अहम रहा. इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना आमने-सामने थे. इस मुकाबले को द्विकोणीय कहा गया जबकि यह सच नहीं है. सच यह है कि पालघर लोकसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबला था जिसमें बीजेपी ने बाजी मार ली.
बहुजन विकास आघाणी भी थी मैदान में
इस उपचुनाव में बीजेपी-शिवसेना के अलावा महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में शामिल एक अन्य पार्टी बहुजन विकास आघाणी भी मैदान में थी. इस पार्टी के मैदान में उतरने से शिवसेना का पूरा खेल बिगड़ गया और पार्टी के लिए प्रतिष्ठा बन गए इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. अगर इन तीनों पार्टियों को मिले वोट पर नजर डालें तो बहुजन विकास आघाणी ने बीजेपी, शिवसेना को जबर्दस्त टक्कर थी. बीजेपी प्रत्याशी राजेंद्र गावित को 2,72,780 वोट मिले जबकि वनगा को 2,43,206 मत प्राप्त हुए. वहीं, बहुजन विकास आघाडी के बलीराम जाधव 2,22,837 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे जबकि माकपा उम्मीदवार किरण गहला को 71,887 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी दामोदर शिंगडा 46079 वोट के साथ पांचवें स्थान पर रहे.
विपक्षी एकता न होने का फायदा मिला बीजेपी को
पालघर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में विपक्षी पार्टियों के एक न होने का फायदा बीजेपी को मिला. चुनाव बाद, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव राजन भोसले ने कहा कि पार्टी स्थानीय संगठन बहुजन विकास अगाधी (बीवीए) से बातचीत कर रही थी लेकिन चीजें काम नहीं कर पाई. यानी अगर कांग्रेस और अन्य पार्टियों मिलकर चुनाव लड़ती बीजेपी को उत्तर प्रदेश के कैराना सीट के जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता. यह भी हो सकता था कि पार्टी के हाथ पालघर सीट न आती.