विद्या प्रकाशन मंदिर (प्रा०) लि० के चेयरमैन श्री सुरेंद्र कुमार जैन द्वारा लिखी गई पुस्तक 'नरेंद्र के नाम सुरेंद्र की पाती' का बुधवार, 30 नवंबर 2022 को विमोचन होगा.
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विद्या प्रकाशन मंदिर (प्रा०) लि० के चेयरमैन श्री सुरेंद्र कुमार जैन द्वारा लिखी गई पुस्तक 'नरेंद्र के नाम सुरेंद्र की पाती' का बुधवार, 30 नवंबर 2022 को विमोचन होगा. कार्यक्रम प्रातः 10:30 बजे देवरथ सभागार, बिग बाईट रिसोर्ट, मेरठ बाईपास रोड़, मेरठ में आयोजित किया गया है. पुस्तक विमोचन के इस भव्य कार्यक्रम को दो लोकप्रिय कवियों अनामिका जैन अंबर और सौरभ जैन सुमन द्वारा संचालित किया जाएगा. कार्यक्रम में चार चांद लगाने के लिए संगीत जगत के सबसे सम्माननीय और मशहूर गायक कैलाश खेर शामिल होंगे. परम पूजनीय स्वामी चिदानंद सरस्वती जी (परमाध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश) कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे.
माननीय श्री राजेंद्र अग्रवाल जी (लोकसभा सांसद, मेरठ-हापुड़ संसदीय क्षेत्र) की अध्यक्षता में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम होगा. इनके अलावा स्वामी जयंत सरस्वती जी (संस्थापक, कण्वाश्रम कोटद्वार, उत्तराखण्ड) समारोह में विशिष्ट सान्निध्य और माननीय डॉ० सोमेंद्र तोमर (ऊर्जा राज्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ) विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल होंगे. विषय प्रतिपादन के लिए खासतौर पर पद्मश्री प्रो० जे० एस० राजपूत (पूर्व चेयरमैन एनसीईआरटी, नई दिल्ली) को आमंत्रित किया गया हैं.
'नरेंद्र के नाम सुरेंद्र की पाती' पुस्तक में भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वभाव से लेकर उनके कार्यों तक का बड़ी ही बारीकी से वर्णन किया गया हैं. समाजसेवी श्री सुरेंद्र कुमार जैन ने इस पुस्तक के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विविध आयामों को दर्शाने का प्रयास किया है. लेखक ने मोदी जी के बालपन से लेकर वर्तमान जीवन तक का चित्रण प्रस्तुत किया है. उनके शासन की नीतियों के मूल्यांकन तथा क्रियान्वयन की प्रभाविता की तथ्यपरक समीक्षा की गई है.
लगभग 100 पन्नों की इस किताब में 11 पातियां हैं, ये सभी पातियां भारत की एकता और अखंडता में नरेंद्र मोदी जी के योगदान को दर्शाती हैं. पहली पाती का शीर्षक आवो,आवो गुजरात है, जिसमें लेखक सुरेंद्र जैन ने नरेंद्र दामोदर दास मोदी की जन्म धरती गुजरात को नमन किया है. वहीं दूसरी पाती मेरे मन की बात में लेखक ने 130 करोड़ देशवासियों के उस विश्वास को अभिव्यक्त किया है, जिसमें मोदी सरकार भारत देश को आत्मनिर्भर भारत बनाने का सुंदर सपना साकार करने के पथ पर कार्य कर रही है. भारत की अंतरात्मा में बसी है भारतीयता शीर्षक वाली तीसरी पाती भारत के वसुधैव कुटुम्बकम् के महाभाव का वर्णन करती है. चौथी पाती अध्यात्मवाद से पोषित सर्वोच्च विज्ञान एवं तकनीक की शिक्षा में भारत की शिक्षा प्रणाली में विश्व-प्रेम और अध्यात्मवाद के महत्त्व को दर्शाया गया है. अन्नदाताओं के खातिर प्रधानमंत्री की अंतदृष्टि, पुस्तक की पांचवी पाती है, जिसमें लेखक ने मोदी सरकार के सम्मुख किसानों के हित में लोक-मंगलकारी प्रस्ताव रखे है. प्रस्ताव में भारत के किसानों की दशा सुधारने, उनकी उत्तरोत्तर उन्नति तथा समृद्धि के लिए कृषि को उद्योग का दर्जा और सहकारी खेती को अधिकाधिक प्रोत्साहन दिए जाने जैसे कई सुझाव शामिल हैं.
लेखक पुस्तक की छठी पाती अर्थशक्ति के विकेंद्रीकरण से ही सम्भव है आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु अर्धशक्ति के विकेंद्रीकरण को अपरिहार्य पर जोर देता है. मोदी है तो मुमकिन है नाम से सातवीं पाती में लेखक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की असाधारण नेतृत्व की क्षमता से सभी नामुमकिन काम को मुमकिन करने की बात कही है. आठवीं पाती विश्वजयी भारतवर्ष में आने वाले समय में भारत को विश्वजयी बनाने के लिए अपनी विदेश नीति पर पर्याप्त ध्यान देना और भी कई अन्य कदम उठाने के सुझाव दिए गए है. सुविचार से प्रेरित नौवीं पाती नीतियां लाएंगी रामराज्य में देश के स्वार्थी, अराजक तत्त्वों, राजद्रोहियों और आतंकवादियों से निपटने और नैतिक मूल्यों पर आधृत लोक-मंगलकारी नीतियों को लागू करने पर बल दिया गया है. दसवीं पाती नए भारत के शिल्पी को अर्पित एक अद्भुत स्वप्न में सुरेंद्र जैन का स्पष्ट कथन है कि सुशासन की प्रथम आवश्यकता एवं उसकी आधारशिला नीतिवादी सिद्धांतों का क्रियान्वयन है. अपनी अंतिम पाती यतो नरेंद्रः ततो जय में, लेखक अभिव्यक्त करते हैं कि समय का संकेत है कि राष्ट्रभक्त नरेंद्र मोदी के हाथों स्वस्थ-सुंदर भारत का निर्माण सम्भव है, आने वाले समय में भारत ही विश्व को नयी राह दिखाएगा.