New Housing Projects: रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में से करीब 72 प्रोजेक्ट एनसीआर में और 153 प्रोजेक्ट दूसरे जिलों के हैं. इनमें से रिकॉर्ड 36 प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन त्योहारों से पहले सितंबर में किया गया है.
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UP RERA Report: अगर आप मकान, फ्लैट या प्लॉट खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो इस खबर से आपको अपना फैसला लेने में आसानी हो सकती है. जी हां, यूपी में हाउसिंग डेवलपमेंट से जुड़ी कंपनियां गाजियाबाद और नोएडा की बजाय दूसरे शहरों को शहरों को तरजीह दे रही हैं. एनसीआर (NCR) में आने वाले इन शहरों के मुकाबले लखनऊ, वाराणसी जैसे शहरों में 60 प्रतिशत से अधिक नए रियल्टी प्रोजेक्ट शुरू किये जा रहे हैं. यूपी रेरा (UP RERA) के पास उपलब्ध रजिस्ट्रेशन के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
लखनऊ, बरेली, आगरा, मथुरा और मुरादाबाद में मांग
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 2022 में ही यूपी रेरा ने करीब 225 परियोजनाएं पंजीकृत की. इनमें से 150 से अधिक परियोजनाएं गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों से अलग की है. इन शहरों में लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, बरेली, आगरा, मथुरा और मुरादाबाद शामिल हैं. यूपी रेरा की तरफ से एक बयान में कहा गया रेरा के पास अब तक, 3,340 से अधिक रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराया गया है. इस साल, नए प्रोजेक्ट को लेकर करीब 225 आवेदन प्राप्त हुए हैं.
72 प्रोजेक्ट एनसीआर में, 153 दूसरे जिलों में
रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में से करीब 72 प्रोजेक्ट एनसीआर में और 153 प्रोजेक्ट दूसरे जिलों के हैं. इनमें से रिकॉर्ड 36 प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन त्योहारों से पहले सितंबर में किया गया है. इतना ही नहीं रेरा में 2,057 जारी प्रोजेक्ट और 1,290 नई परियोजनाएं पंजीकृत हैं. कुल 2,057 परियोजनाओं में से 1,070 परियोजनाएं 52 प्रतिशत एनसीआर में आने वाले आठ जिलों में थी. इनमें मुख्य रूप से गौतम बुद्ध नगर (नोएडा और ग्रेटर नोएडा), गाजियाबाद, मेरठ और हापुड़ शामिल हैं. एनसीआर जिलों की जारी परियोजनाओं में 53 प्रतिशत जबकि नई परियोजनाओं में 37 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
यूपी रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि गैर-एनसीआर क्षेत्रों में बहुत सारे नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं और उनमें से लगभग 20 प्रतिशत लखनऊ में हैं. वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बरेली, मुरादाबाद, आगरा, मथुरा और वृंदावन के लिये भी अच्छी संख्या में रजिस्ट्रेशन हुए हैं. कुमार ने कहा, जब हमने शुरू किया था तब एनसीआर और गैर-एनसीआर क्षेत्रों की हिस्सेदारी 50-50 थी. हालांकि अब नई परियोजनाओं की श्रेणी के तहत यह 70-30 का अनुपात है. ज्यादा परियोजनाएं गैर-एनसीआर क्षेत्र में आई हैं. (INPUT : PTI)
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