Relationship With Father: अक्सर बच्चे अपने पिता को बोझ समझने लगते हैं और उनकी मेहनत को अनदेखा करते हैं. इसलिए पिता कभी-कभी अपने सभी भावनाओं को छिपाए रखते हैं.
Trending Photos
पिता होना एक व्यक्ति के लिए अनुभव की अनेक भावनाओं का संगम होता है. जब बच्चा पैदा होता है, तो इसके बाद व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और संभालने की ओर आकर्षित होता है. वह चाहता है कि उसके बच्चे को किसी भी चीज की कमी न हो और उसे अच्छी जीवनशैली का सुख-शांत महसूस हो. हालांकि, इसके बावजूद, अक्सर बच्चे अपने पिता को बोझ समझने लगते हैं और उनकी मेहनत को अनदेखा करते हैं. इसलिए पिता कभी-कभी अपने सभी भावनाओं को छिपाए रखते हैं, उम्मीद करते हैं कि एक दिन उन्हें अपने बच्चे के साथ आरामपूर्ण जीवन जीने का मौका मिलेगा और उन्हें अच्छी यादें बनाने का वक्त मिलेगा.
हालांकि, आमतौर पर ऐसा नहीं होता है. जब बच्चे बड़े होते हैं, वे विचारों में मतभेद होने के कारण अपने पिता को कुछ ऐसा कहते हैं, जिसका उनके दिमाग में हमेशा के लिए असर रहता है. इसके परिणामस्वरूप, पिता उस पहले जैसा लगाव महसूस नहीं कर पाते. आज हम आपको कुछ ऐसी ही बातों के बारे में जानकारी देंगे, जिन्हें व्यक्ति को कभी भी अपने पिता से नहीं कहना चाहिए, वरना रिश्ते में दूरियां आने लगती हैं.
अनदेखी और समय की कमी
बच्चों का व्यस्त जीवन उन्हें अपने पिता के साथ समय बिताने से रोक सकता है. अनदेखी और समय की कमी के कारण पिता का आत्मविश्वास कम हो सकता है और वे अपने बच्चों के साथ संपर्क में कम हो सकते हैं.
अभाव या निष्ठाहीनता
बच्चे अपने पिता से सही मार्गदर्शन और मैसेज की अपेक्षा करते हैं. अगर पिता निष्ठाहीन हो या बच्चों के जीवन में अभाव हो, तो इससे उनके बीच रिश्ते में तनाव बढ़ सकता है.
बातचीत की कमी
बातचीत की कमी के कारण विचारों और भावनाओं का सामान्य आपसी समझबूझ पर असर पड़ सकता है. पिता और बच्चों के बीच संचार की कमी होने पर अनिर्णीत गलतफहमियां और दूरियां बढ़ सकती हैं.
आपत्तिजनक और अयोग्य व्यवहार
यदि बच्चे अपने पिता के प्रति अप्रिय और आपत्तिजनक व्यवहार दिखाते हैं, तो इससे रिश्ते में दूरियां पैदा हो सकती हैं. उचित संवेदनशीलता और सम्मान के साथ बातचीत करने की आवश्यकता होती है ताकि विभिन्न मतभेदों का समाधान हो सके.
संतुष्टि की कमी
बच्चे अपने पिता से अपनी अपेक्षाओं और योग्यताओं के आधार पर संतुष्टि की उम्मीद रखते हैं. यदि पिता अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं या योग्यताओं में कमी होती है, तो इससे बच्चों के मन में तनाव और असंतोष की भावना पैदा हो सकती है.