शनि के इन पावन धामों पर दर्शन मात्र से दूर होते हैं ढैय्या और साढ़ेसाती के कष्ट
Advertisement
trendingNow1763135

शनि के इन पावन धामों पर दर्शन मात्र से दूर होते हैं ढैय्या और साढ़ेसाती के कष्ट

जब शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती सताए तो शनिदेव के पावन धामों के दर्शन से सभी कष्ट दूर होते हैं. शनिदेव अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: ज्योतिष में शनि एक ऐसा ग्रह है, जिसके प्रभाव से भगवान राम, महाबली रावण, राजा हरिश्चंद आदि कोई भी बच नहीं सका है. शनि का 12 राशियों का गोचर लगभग 30 वर्ष का होता है, जिसमें आधे से ज्यादा समय खराब ही रहता है. ऐसे में शनि का नाम आते ही डर लगना स्वा​भाविक है. शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती और उनकी वक्र दृष्टि को लेकर यह डर और भी बढ़ जाता है. निश्चित रूप से किसी भी जातक की कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होने पर उसे तमाम तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि शनि आपको सिर्फ कष्ट ही देते हैं. शनि न्याय के देवता हैं. शनि आपके कर्मों का पूरा फल देते हैं. आइए जानते हैं कि शनि देवता के किन मंदिरों (Shani Temple) में विधि-विधान से पूजन एवं दर्शन करने से कष्ट दूर होते हैं और शनिदेव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाने लगते हैं.

  1. शनि न्याय के देवता हैं और आपके कर्मों का पूरा फल देते हैं
    शनि दोष को दूर करने के लिए करें शनि के दिव्य धामों का दर्शन
    शनिदेव के दर्शन से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मिलेगी मुक्ति

यह भी पढ़ें- विश्व प्रसिद्ध है गुजरात का सोमनाथ मंदिर, दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के दुख-दर्द

शनिदेव का शिंगणापुर मंदिर

शनिदेव (Shani Dev) का यह पावनधाम महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिंगणापुर में​ स्थित है. शनिदेव के प्रताप से यहां पर किसी के घर में कोई चोरी नहीं होती और लोग अपने घरों में ताले नहीं लगाते. मान्यता है कि यहां पर शनिदेव के दर्शन करने से उनका प्रकोप शांत हो जाता है. यहां शनिदेव के दर्शन करने वालों पर से शनि की ढैय्या और साढ़े साती का प्रभाव दूर हो जाता है. शनिदेव अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी शीघ्र ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

शनिदेव का कोकिलावन स्थिति मंदिर

मान्यता है कि शनिदेव भगवान कृष्ण के परम भक्त थे. एक बार जब वे कृष्ण की भक्ति में खोए हुए थे और पत्नी के बुलाने पर भी उनकी तरफ नहीं देखा तो उनकी पत्नी ने उन्हें श्राप दे दिया कि आप जिस पर दृष्टि डालोगे, उसका नाश हो जाएगा. इसके बाद जब शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला का आनंद लेने नंदगांव गए तो माता यशोदा ने उन्हें महल के बाहर ही रोक दिया. इस पर शनिदेव रोने लग गए. तब भगवान कृष्ण ने शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें कोकिलावन में रहने के लिए कहा. भगवान कृष्ण ने कहा कि मैं वहां आऊंगा और वहीं पर तुम्हें मेरी आदिशक्ति राधा रानी के भी दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा. साथ ही यह वरदान दिया कि कलयुग में जो कोई भी तुम्हारे दर्शन और परिक्रमा करेगा, उसके सभी कष्ट दूर होंगे. शनिदेव के इस दिव्य धाम में दर्शन से शनि संबंधी दोष चमत्कारिक रूप से दूर हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें- शक्ति की साधना से पूरी होगी मनोकामना, इस एक पूजा से प्रसन्न होंगी जगदंबे

शनिदेव का ग्वालियर स्थित मंदिर

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से लगभग 30 किमी की दूरी पर एक शनैश्चर नामक पर्वत पर यह पावन धाम स्थित है. मान्यता है कि जब श्री हनुमान जी ने शनिदेव को रावण से मुक्त कराया तो कहा कि अब आपका यहां रहना ठीक नहीं है, मैं आपको भारतवर्ष की ओर भेज देता हूं. आप जहां कहीं भी जाकर उतरेंगे, वहीं पर पूजित होंगे. तब जिस पर्वत पर आकर शनिदेव उतरे, वह श​नैश्चर पर्वत कहलाया. शनि के इस सिद्धपीठ पर आने वाले भक्तों को चमत्कारिक रूप से लाभ होता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

धर्म से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Trending news