विश्व प्रसिद्ध है गुजरात का सोमनाथ मंदिर, दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के दुख-दर्द
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विश्व प्रसिद्ध है गुजरात का सोमनाथ मंदिर, दर्शन मात्र से दूर होते हैं भक्तों के दुख-दर्द

भक्ति, भव्यता और दिव्यता का प्रतीक सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है. गुजरात के वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था. जानिए इसके गौरवशाली इतिहास के बारे में.

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

नई दिल्ली: गुजरात का सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) अहमदाबाद से करीब 400 किलोमीटर दूर समंदर के किनारे स्थित है. कहा जाता है कि सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था. इस मंदिर पर कई हमले किए गए. कई बार मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश भी की गई. मंदिर से खजाना लूटा गया लेकिन आक्रमणकारी आस्था के स्तंभ नहीं तोड़ पाए. वे इस मंदिर से जुड़ी भक्तों की श्रद्धा को खंडित नहीं कर पाए. तो आइए आपको करवाते हैं 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे प्रमुख सोमनाथ देव के दर्शन.

  1. सोमनाथ मंदिर गुजरात के अहमदाबाद से 400 किमी दूर स्थित है
  2. मान्यता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था
  3. इसे हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक माना जाता है

बेहद खास है सोमनाथ मंदिर
भक्ति, भव्यता और दिव्यता का प्रतीक सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला है. गुजरात के वेरावल में स्थित सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था. ऋगवेद, स्कंदपुराण और महाभारत में भी इस मंदिर की महिमा का बखान है. सोम भगवान का स्थान यानी सोमनाथ मंदिर जहां आकर भगवान के साक्षात दर्शन की अनुभूति होती है. इसे हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक माना जाता है.

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निराली है सोमनाथ मंदिर की छटा
अत्यंत वैभवशाली सोमनाथ मंदिर को इतिहास में कई बार खंडित किया गया लेकिन बार-बार पुनर्निर्माण कर सोमनाथ के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश नाकाम हुई. अरब सागर के तट पर स्थित आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है. यह तीर्थ स्थान देश के प्राचीनतम तीर्थ स्थानों में से एक है. इतिहासकारों के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर के समृद्ध और अत्यंत वैभवशाली होने की वजह से इस मंदिर को कई बार मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्धारा तोड़ा गया. साथ ही कई बार इसका पुनर्निर्माण भी हुआ है. वहीं महमूद गजनवी द्वारा इस मंदिर पर आक्रमण करना इतिहास में काफी चर्चित है.

अद्भुत है निर्माण
सोमनाथ मंदिर अपनी शिल्पकला और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर के शिखर पर सुंदर नक्काशी की गई है. इस मंदिर को 1209 ई. में गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी द्वारा निर्मित किया गया था. इसके अंदर मां पार्वती, भगवान गणेश तथा नन्दी की मूर्तियों के साथ-साथ एक सुंदर शिवलिंग भी है. इस शिवलिंग को राज कुमार पाल सोलंकी गुजरात के सौराष्ट्र से लाए थे.

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देखभाल की व्यवस्था है दुरुस्त
सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है. सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबंध किया है. भगवान शिव का यह पहला ज्योर्तिलिंग सोमनाथ तीन हिस्सों में बंटा हुआ है, जिसमें मंदिर का गर्भगृह, नृत्यमंडप और सभामंडप शामिल हैं. इसके शिखर की ऊंचाई करीब 150 फीट है. इस प्रसिद्ध मंदिर के परिसर में रखे कलश का वजन करीब 10 टन है, जबकि इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है. यह मंदिर करीब 10 किलोमीटर के विशाल क्षेत्रफल में फैला हुआ है.
 
देश को समर्पित
वर्तमान में दिख रहे सोमनाथ मंदिर भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया था. 1 दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था.

पर्यटन स्थल के तौर पर भी मशहूर
सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था. इस कारण इस क्षेत्र का महत्व अधिक बढ़ गया. इस मंदिर से एक बेहद प्राचीन एवं प्रचलित धार्मिक कथा भी जुड़ी हुई है. इसके मुताबिक चन्द्रदेव यानी कि चन्द्रमा या फिर सोम देव ने राजा दक्ष प्रजापति की सभी 27 पुत्रियों से शादी की थी. चन्द्रदेव की सभी पत्नियों में सबसे ज्यादा खूबसूरत रोहिणी थीं, इसलिए चन्द्रमा उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करते थे. वहीं सम्राट दक्ष प्रजापति ने जब अपनी ही पुत्रियों के साथ भेदभाव होते देखा था, तब उन्होंने पहले चंद्रदेव को समझाने की कोशिश की. लेकिन चन्द्रमा पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, जिसके बाद राजा दक्ष ने अपनी अन्य पुत्रियों को दुखी होते देख चन्द्रदेव को ‘क्षयग्रस्त’ हो जाने का अभिशाप दे दिया था.

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उन्होंने कहा था कि उनकी चमक और तेज धीमे-धीमे खत्म हो जाएगा, जिसके बाद चन्द्रद्रेव  राजा दक्ष के अभिशाप से काफी दुखी रहने लगे थे. फिर उन्होंने भगवान शिव की कठोर आराधना शुरू कर दी थी. इसके बाद भगवान शिव, चन्द्रदेव के कठोर तप से प्रसन्न हो गए और न सिर्फ उन्हें अमरत्व का वर प्रदान किया, बल्कि उन्हें राजा दक्ष के श्राप से भी मुक्त कर दिया था. साथ ही ये भी कहा कि कृष्णपक्ष में चन्द्रदेव की चमक कम होगी, जबकि शुक्ल पक्ष में उनकी चमक बढ़ जाएगी.

चन्द्रदेव की आराधना
राजा दक्ष के अभिशाप से मुक्त होकर चन्द्रदेव ने भगवान शिव से माता पार्वती के साथ गुजरात के इस स्थान पर निवास करने की आराधना की थी. भगवान शिव ने अपने प्रिय भक्त चन्द्रदेव की आराधना को स्वीकार कर लिया था और वे ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वती के साथ वहां रहने लगे थे. इसके बाद पावन प्रभास क्षेत्र में चन्द्रदेव यानी कि सोमराज ने यहां भगवान शिव के इस भव्य सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया. इसकी महिमा और प्रसिद्धि पूरी विश्व में फैली हुई है.  

दूर होते हैं दुख-दर्द
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के इस प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं एवं सोमनाथ भगवान की पूजा-आराधना से भक्तों के क्षय अथवा कोढ़ रोग ठीक हो जाते हैं.

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