कुंडली में इस ग्रह के कमजोर होने से खराब होती मानसिक स्थिति, जानें उपाय
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कुंडली में इस ग्रह के कमजोर होने से खराब होती मानसिक स्थिति, जानें उपाय

Jyotish: कुंडली में यदि ग्रह कमजोर हो जाए तो व्यक्ति का स्वभाव भी कमजोर हो जाता है. प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो इसके लिए दो ग्रह महत्वपूर्ण माने जाते हैं जो लग्न का स्वामी और चन्द्रमा है.

कुंडली में इस ग्रह के कमजोर होने से खराब होती मानसिक स्थिति, जानें उपाय

Astrology: कुंडली में यदि ग्रह कमजोर हो जाए तो व्यक्ति का स्वभाव भी कमजोर हो जाता है. प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो इसके लिए दो ग्रह महत्वपूर्ण माने जाते हैं जो लग्न का स्वामी और चन्द्रमा है. पीड़ित होने के वैसे तो बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन सामान्य तौर पर राहु या केतु के साथ युति, खराब स्थानों में बैठ जाना या फिर कमजोर हो जाना. इन सभी स्थितियों में व्यक्ति को किसी भी कार्य में मन नहीं लगता या फिर वह दूसरी ही सोच में डूबा रहता है. 

 

जिन लोगों में इच्छा शक्ति नहीं होती है, उनके बारे में अक्सर लोग यह कहते है कि वह मानसिक रूप से कमजोर है. जब कोई व्यक्ति जानते हुए भी परिश्रम से बचने लग जाए. कार्य को शुरू भी करे तो प्रारंभिक छोटी-मोटी समस्याओं के बाद उस कार्य को छोड़ दे तो समझना चाहिए कि उसमें दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी है और वह मानसिक रूप से दूसरों की अपेक्षा कमजोर है. 

 

अगर कुंडली में चंद्रमा हो पीड़ित

 

जन्म कुंडली में चंद्रमा पीड़ित होने के कारण ही ऐसे व्यक्ति मानसिक रूप से असंतुष्ट होते है. हमेशा कोई न कोई शिकायत बनी रहती है. जब चंद्रमा अत्यधिक निर्बल होकर पीड़ित होता है, तो ऐसे व्यक्ति किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाते. चन्द्रमा को शुभ ग्रहों का साथ न मिले या फिर केमद्रुम योग बन जाए- जिसमें चन्द्रमा के एक घर पीछे केतु हो और आगे दो या तीन घरों में कोई शुभ ग्रहों का साथ न मिले.

 

चंद्रमा और शनि की युति

 

चंद्रमा और शनि की युति होने की स्थिति में भी व्यक्ति में कई प्रकार की कमियां देखने को मिलती हैं. वह विशेष रूप से मानसिक कमजोर होता है. चन्द्रमा और लग्नेश से ही व्यक्ति को बल प्राप्त होता है. कमजोर स्थिति में व्यक्ति को जरा सा भी टेढ़ा या उलझाव वाला काम मिले तो वह उससे पीछे हट जाता है. 

 

जानें उपाय

 

ऐसे लोगों को पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा के सामने बैठना चाहिए. किसी को अपना गुरु मानकर उनके मार्गदर्शन में चलना चाहिए. मां की सेवा और उनके साथ अधिक समय व्यतीत करने से आत्मबल बढ़ने लगता है और मानसिक उलझने कम होने लग जाती हैं.

 

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