जिनकी हादसे में मृत्यु होती है, क्या उनकी आत्मा को शांति मिलती है? Premanand Maharaj ने बताया सच
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जिनकी हादसे में मृत्यु होती है, क्या उनकी आत्मा को शांति मिलती है? Premanand Maharaj ने बताया सच

Premanand Maharaj ka Pravachan: प्रेमानंद महाराज एक भक्त को बताते हैं कि अगर किसी की अकाल मृत्यु होती है या फिर किसी हादसे में मौत हो जाती है को क्या उनकी आत्मा को शांति मिलती है. आइए जानते हैं इस पर प्रेमानंद महाराज जी के विचार.

जिनकी हादसे में मृत्यु होती है, क्या उनकी आत्मा को शांति मिलती है? Premanand Maharaj ने बताया सच

Premanand Maharaj Vrindavan: हिन्दू धर्म में कई लोग बहुत सारे साधु-संतों के विचारों से अपने जीवन का मार्गदर्शन करते हैं. इन्ही में से एक हैं प्रेमानंद महाराज. प्रेमानंद जी वृंदावन में रहते हैं और इनके प्रवचन-सत्संग को सुनने लोग दूर-दूर से आते हैं. महाराज जी अपने सरल विचारों से लोगों की समस्याओं का समाधान भी देते हैं. सोशल मीडिया पर भी उनके कई फॉलोअर्स हैं.

 

अकाल मृत्यु होती है तो आत्मा को शांति मिलती है?
सोशल मीडिया पर प्रेमानंद महाराज जी के सत्संग के कई रील्स वायरल होती रहती हैं जो लोगों को बहुत पसंद भी आती हैं और उस वीडियो के विचार को अपने जीवन में अपनाते भी हैं. इसी के  चलते प्रेमानंद महाराज एक भक्त को बताते हैं कि अगर किसी की अकाल मृत्यु होती है या फिर किसी हादसे में मौत हो जाती है को क्या उनकी आत्मा को शांति मिलती है. आइए जानते हैं इस पर प्रेमानंद महाराज जी के विचार.

 

महाराज जी ने दिया संत का उदाहरण
प्रेमानंद महाराज भक्त का जवाब देने के लिए एक उदाहरण देते हैं कि बड़े-बड़े संतों की भी एक्सीडेंट में मृत्यु होती है. बक्सर के एक बड़े संत थे वो कथा सुनाने जा रहे थे, उन्होंने बरसाने में पहले श्रीजी के दर्शन किए, उसके बाद एक सामने से ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे मृत्यु हो गई. अब इसका अर्थ ये नहीं है कि उनकी आत्मा अशांत है. महाराज जी कहते हैं जो पापाचरण कर रहा है उसे शरीर छूटने के बाद परिणाम भी वैसे ही मिलेंगे.

 

जीवन कैसे व्यतीत किया ये है जरूरी
प्रेमानंद जी कहते हैं कि खास बात ये नहीं है कि मृत्यु कैसे हुई, खास बात ये है कि उसने जीवन कैसे व्यतीत किया है. एक आदमी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वो अच्छा बैठा हुआ है लेकिन सामने से दीवार गिरी और मौत हो गई. इस हम अकाल मृत्यु कहेंगे. लेकिन उसने अपना जीवन कैसे व्यतीत किया उसे परिणाम वैसे मिलेंगे. अगर उसने अपना जीवन भजन मे व्यतीत किया है तो भगवान को प्राप्त होगा. वहीं, दूसरी ओर अगर गंदा व्यतीत किया है तो गलत आचरण के कारण गलत परिणाम मिलेंगे. 

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पहले से निश्चित होती है मृत्यु
मृत्यु कैसे हुई ये महत्व नहीं रखता है. मृत्यु की घटना तो पहले से निश्चित होती है, हम जिसे अकाल मृत्यु कहते हैं वो भी निश्चित हो चुकी होती है. महाराज जी कहते हैं कि अगर व्यक्ति के पाप बढ़ गए हैं तो व्यक्ति की मौत भरी जवानी में होनी है, अब कैसे होनी है ये पहले से तय होता है. जवानी में अगर कोई मर गया तो अकाल मृत्यु है. उसने जवानी तक कैसा जीवन व्यतीत किया है, क्या आचरण रहा है ये महत्वपूर्ण है. अगर जीवन में सत्य धर्म, माता पिता की सेवा और भजन किया तो उसका कल्याण होगा. वहीं, अगर पापाचरण और धर्म विरुद्ध आचरण अपनाया तो वो अगर गंगा में भी मरे तो नर्क में जाएगा.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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