Chandrama ke upay: कुंडली में चंद्रमा का कमजोर होना कई मानसिक और शारीरिक समस्‍याओं का कारण बनता है. ऐसे जातक शरद पूर्णिमा का व्रत रखकर चंद्र देवता को प्रसन्न कर सकते हैं. ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि शरद पूर्णिमा व्रत और पूजा करने से चंद्र दोष शांत होता है. इस व्रत के माध्यम से न केवल व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति में सुधार आता है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं में सकारात्मक परिणाम भी देता है. जिससे मानसिक शांति, समृद्धि और भावनात्मक स्थिरता प्राप्त होती है. 


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चंद्र दोष करेगा शरद पूर्णिमा व्रत 


चंद्रमा के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए व्यक्ति को सोमवार और पूर्णिमा का व्रत जरुर करना चाहिए. जो लोग किसी कारणवश प्रत्येक सोमवार या पूर्णिमा का व्रत नहीं रख पाते हैं, वह वर्षभर में एक बार आने वाली शरद पूर्णिमा का नियमपूर्वक विधि-विधान से व्रत जरूर रखें. ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस व्रत का पालन सच्चे मन से और नियमों को ध्यान में  रखते हुए करते है, उस व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव निश्चित रूप से आते हैं. इस वर्ष 17 अक्टूबर बुधवार के दिन शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा.


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शरद पूर्णिमा व्रत के नियम


चंद्रमा का व्रत वार और तिथि दो प्रकार से किया जा सकता है - वार में यह सोमवार के दिन किया जाता है, जो चंद्र देवता का प्रिय दिन माना जाता है और तिथि में पूर्णिमा तिथि पर किया जा सकता है. इस दिन व्रती को सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि सफेद रंग चंद्रमा से जुड़ा होता है और मानसिक शांति का प्रतीक है.


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शरद पूर्णिमा का महत्‍व


शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों में अमृत बरसने की प्राचीन मान्यता है. यह विश्वास है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य और आरोग्यता प्रदान करते हैं. इसी कारण शरद पूर्णिमा की रात को खीर, जिसे चावल और दूध से बनाया जाता है, खुले आकाश के नीचे चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर को अमृत समान बनाती हैं और जब उसे प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है, तो यह शरीर और मन के लिए अत्यंत लाभकारी होती है. 


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मंत्र जाप की विधि


व्रत के दिन चंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्राय नम:' इस विशेष मंत्र का जप किया जाता है. जप की संख्या 11 माला, 5 माला या 3 माला हो सकती है, जो साधक की क्षमता और संकल्प पर निर्भर करती है. यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में शांति, संतुलन और मानसिक स्थिरता लाने में सहायक होता है. 


व्रत के भोजन नियम


चंद्रमा व्रत में आहार का भी विशेष महत्व होता है. इस व्रत में बिना नमक के बना हुआ भोजन ग्रहण किया जाता है. दही, दूध, चावल, चीनी और घी से बनी चीजें ही खाने में सम्मिलित की जाती हैं. यह सात्विक आहार व्यक्ति के मन और शरीर को शुद्ध करता है, जिससे व्रत का प्रभाव और भी अधिक सकारात्मक हो जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)