अजित पवार के मन में क्या है? इस बार भी RSS से काटी कन्नी, बस एक NCP MLA पहुंचा हेडक्वॉर्टर
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अजित पवार के मन में क्या है? इस बार भी RSS से काटी कन्नी, बस एक NCP MLA पहुंचा हेडक्वॉर्टर

Ajit Pawar take on RSS invite: संघ (RSS) मुख्यालय से महायुति (Mahayuti) को न्योता भेजने के बाद अजित पवार का वहां खुद न जाकर अपने एक विधायक भेजने के घटनाक्रम को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

अजित पवार के मन में क्या है? इस बार भी RSS से काटी कन्नी, बस एक NCP MLA पहुंचा हेडक्वॉर्टर

Ajit Pawar Absence At RSS Event: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए महायुति को न्योता भेजा गया था. संघ मुख्यालय नागपुर में केशव बलिराम हेडगेवार के स्मारक पर आयोजित बौद्धिक कार्यक्रम में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे अपने कई विधायकों के साथ शामिल हुए, लेकिन अजित पवार (Ajit Pawar) नहीं गए. इस आयोजन में बीजेपी से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के साथ हिंदुत्व की दूसरी ध्वजवाहक पार्टी शिवसेना के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) समेत महायुति के कई विधायक मौजूद थे. लेकिन फडणवीस की कैबिनेट के सेकेंड लेफ्टिनेंट यानी दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने उस आयोजन का बायकाट करके अपनी पार्टी के एकमात्र MLA को वहां भेजकर अपने इरादे जता दिए हैं. अजित दादा के इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं.

अजित को नहीं पसंद संघ का बौद्धिक, तीसरी बार ठुकराया संघ का न्योता

आपको बताते चलें कि अजित पवार के बीजेपी के पास आने के बाद से ये तीसरा मौका है, जब अजित ने आरएसएस का न्योता ठुकराया है वो भी तब, जब अजित नागपुर में ही मौजूद थे. आपको बताते चलें कि RSS मुख्यालय में अक्सर बीजेपी विधायकों के लिए एक बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन रखा जाता है. जिसमें बीजेपी के विधायक और संघ के पदाधिकारी राज्य एवं देश के समसामयिक मुद्दों पर मंथन करते हैं. 2024 के आखिर में ऐसा ही बौद्धिक कार्यक्रम का आयोजन था. बीजेपी की लैंड स्लाइड विक्ट्री के बाद इस बार संघ ने न सिर्फ बीजेपी बल्कि महाराष्ट्र में एनडीए के सभी विधायकों को न्योता भेजा था. हालांकि इनवाइट की खबर बाहर आते ही अजित के इस इवेंट का बायकाट करने की चर्चा चल रही थी.

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एनसीपी की कोर पॉलिसी पर कायम अजित

लोकसभा चुनावों में एनसीपी की करारी हार और बड़े पवार की राकांपा (शपा) की बड़ी जीत के बाद 6 महीने तक अजित चुप्पी साधे रहे, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की महाजीत के बाद और इंडिविजुअल इंटेटी में खुद को एनसीपी का असली वारिस साबित करने वाले अजित पवार ने हर मामले पर अपनी खुलकर राय रखी. यहां तक जब एकनाथ शिंदे की मानमनौवल आखिरी दौर में थी तब भी अजित पवार ने महायुति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुटकी लेते हुए कह दिया था कि शिंदे शपथ लेंगे या नहीं ये वो नहीं जानते पर वे अगली शाम को जरूर शपथ ले रहे हैं.' 

क्या एक होंगे एनसीपी के दोनों धड़े, इसलिए संघ के कार्यक्रम से दूरी? 

अजित के इस फैसले को उनके खांटी समर्थक दूर की कौड़ी मान रहे हैं. उनका कहना है कि संघ परिवार या हिंदुत्व की विचारधारा से पहले जैसी दूरी बनाए रखने का स्पष्ट संकेत देना इस बात को दर्शाता है कि उनकी पार्टी के दो फाड़ से पहले कि जो कोर नीति रही है, उस पर वो कायम रहेंगे. यानी भले ही परिस्थितियों की वजह से वो बीजेपी के साथ हैं लेकिन उससे एनसीपी के जुड़े काडर वोट बैंक खासकर अल्पसंख्यक नेताओं और मतदाताओं को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है.

बीजेपी के साथ जाने को लेकर वो अपने लोगों को समझा चुके हैं कि आपके काम कराने के लिए सत्ता में रहना जरूरी है, इस बात से उनके समर्थकों को भी कोई खास दिक्कत नहीं है. ऐसे में अगर अजित इस बार संघ मुख्यालय चले जाते तो उनके ऊपर जो टैग लगता उससे उनका कोर मतदाताओं के खफा होने का खतरा था.

बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल होने के बावजूद, अजित पवार लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने शिवाजी महाराज, फुले और आंबेडकर की विचारधारा को नहीं छोड़ा है. अजित लगातार ये कहते आए हैं कि उनकी पार्टी अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से समझौता नहीं करेगी.  ऐसे में माना जा रहा है कि संघ के आयोजन से उचित दूरी बनाकर अजित पवार ने एक तीर से दो निशाने साधकर मास्टर स्ट्रोक चल दिया है.

RSS मुख्यालय पर पहुंचकर क्या बोले अजित के इकलौते विधायक? 

भले ही अजित पवार संघ मुख्यालय नहीं गए, लेकिन उनका एक विधायक महायुति के न्योते के नाम पर संघ के कार्यक्रम में खानापूर्ति करने पहुंचा. एनसीपी की ओर से तुमसर से विधायक राजू कारेमोरे जब संघ के कार्यक्रम में पहुंचे तब पत्रकारों ने उनसे पूछा- आप आए या आपको भेजा गया? तब उनका जवाबा था कि वह व्यक्तिगत श्रद्धा की वजह से यहां आए हैं.

विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी जब फायरब्रांड योगी आदित्यनाथ पूरे महाराष्ट्र में  'बंटेंगे तो कटेंगे' की बात कर रहे थे तो महायुति की सहयोगी एनसीपी के नेता अजित पवार ने इसे बीजेपी का आक्रामक नारा बताते हुए इसका विरोध किया था. इसके बाद मौके की नजाकत को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में 'एक रहेंगे सेफ रहेंगे' का नारा दिया था. ये एक बढ़िया नारा साबित हुआ, जिसमें कोई डर नहीं था. जिसका फायदा बीजेपी को महाराष्ट्र में पहली बार सर्वाधिक सीटें जीतकर मिला था.

चुनावी नतीजों के बाद से ही एनसीपी के दोनों धड़ों में मेल होने की अपुष्ट खबरें चल रही हैं. हाल ही में रोहित पाटिल ने अजित पवार से मुलाकात की थी. इनके अलावा दोनों धड़ों के नेता बीते एक महीने से एक दूसरे से खुलकर मिल रहे हैं. ऐसे में अजित पवार के इस फैसले को संघ के आयोजन के बायकाट से जोड़कर देखा जा रहा है.

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