Bhai Dooj Katha: भाई दूज का तिलक करने से पहले जरूर पढ़ें-सुने से कथा, तभी भाई की उम्र होगी लंबी; पूरी होगी हर कामना
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Bhai Dooj Katha: भाई दूज का तिलक करने से पहले जरूर पढ़ें-सुने से कथा, तभी भाई की उम्र होगी लंबी; पूरी होगी हर कामना

Bhai Dooj Hindi Katha: 15 को आज देश के कई हिस्सों में भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन बहनें भाई के तिलक कर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आज तिलक करने से पहले ये भाई दूज की कथा पढ़ने या सुनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

 

bhai dooj 2023

Bhai Dooj Tilak Time 2023: हिंदू शास्त्रों में कई ऐसे त्योहार आते हैं जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और मजबूत करते हैं. इसमें भाई दूज का पर्व भी शामिल है. बता दें कि पांच दिवसीय दिवाली पर्व का समापन भाई दूज से होता है. भाई दूज के दिन बहनें भाई के तिलक करती हैं और उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं.  इस साल आज 15 नवंबर बुधवार के दिन मनाई जा रही है. भाई दूज पर बहनें सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक तिलक कर सकती हैं. इसके बाद तिलक का दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है. इसके बाद राहुकाल लग जाएगा. इसलिए बहनें भाई के तिलक शुभ मुहूर्त में ही कर लें. 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बहनें आज के दिन भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं और सौभाग्य वृद्धि का वर मांगती हैं. इतना ही नहीं, इस दिन बहनें व्रत रखती हैं. इस दिन तिलक से पहले भैया दूज की कथा सुनना या पढ़ना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन यमराज और यमुना की कथा सुनने से भाई को लंबी उम्र का वरदान मिलता है. इसे यम द्वितिय के नाम से भी जाना जाता है. 

भैया दूज की कथा 

पौराणिक कथा के अनुसार आज के दिन तिलक से पहले बहनों का भैया दूज की कथा सुनना बहुत शुभ माना गया है. बता दें शास्त्रों में वर्णिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य देव की पत्नी संज्ञादेवी से उन्हें दो संतान प्राप्त हुई थीं. एक पुत्र यमराज और एक यमुना कन्या. सूर्य देव के तेज और किरणों को न सहन कर पाने के चलते संज्ञादेवी उत्तरी ध्रूव में छाया बनकर रहने लगीं. यमराज ने एक अलग नगरी यमपुरी बसा रखाी थी और वे वहां पर पापियों को दंडित करने का काम करते थे. ये सब देख यमुना गौ लोक चली गईं और वहीं जाकर रहने लगीं. इससे यमराज और यमुना अलग रहने लगे और सालों तक एक दूसरे से न मिल सके.  

लेकिन एक दिन यमराज अचानक ही गौ लोक गए जहां उनकी मुलाकात यमुना जी से हुई. ऐसे में दोनों एक-दूसरे को देखकर भाव-विभोर होने लगे. यमुना यमराज को अपने घर ले गईं और भोजन कराया और यमराज के तिलक किया. इसके बाद यमराज ने यमुना से कुछ वर मांगने की बात रखी.  यमुना ने उस समय यमराज से वादा लिया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि पर यमुना से मिलने हर साल आएंगे. इसलिए हर साल इस दिन भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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