Buddha Purnima 2023: आज बुद्ध पूर्णिमा पर दुर्लभ संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और स्‍नान-दान का महत्‍व
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Buddha Purnima 2023: आज बुद्ध पूर्णिमा पर दुर्लभ संयोग, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और स्‍नान-दान का महत्‍व

बुद्ध पूर्णिमा 2023: आज पूरे देश भर में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है. बुद्ध पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाते हैं और इसे पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है. दशकों बाद आज बुद्ध पूर्णिमा पर दुर्लभ संयोग भी बना है.

फाइल फोटो

Buddha Purnima 2023 in Hindi: वैशाख का महीना भगवान विष्‍णु की पूजा-आराधना करने का महीना होता है. वहीं वैशाख महीने की पूर्णिमा भगवान श्रीहरि की आराधना करने के लिए बेहद अहम होती है. साथ ही वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्‍णु के अवतार माने गए भगवान गौतम बुद्ध का जन्‍म और निर्वाण हुआ था. इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन देश-दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायी भगवान बुद्ध की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. बोधि वृक्ष की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि इसी वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. साथ ही इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नान करना और दान करना बहुत फलदायी माना गया है. वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है, लिहाजा इसे पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं. 

मिलता है पूरे महीने स्‍नान करने जितना फल
 
भगवान विष्‍णु को वैशाख महीना बेहद प्रिय है. स्कन्द पुराण के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्‍नान करने और दान करने से पूरे वैशाख महीने में स्‍नान करने जितना फल मिलता है. इसके अलावा वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज के निमित्त भी व्रत रखा जाता है. इससे असमय मृत्‍यु का खतरा टल जाता है. 

बुद्ध पूर्णिमा 2023 पूजा शुभ मुहूर्त 

बुद्ध पूर्णिमा आज 5 मई, शुक्रवार को मनाई जा रही है. साथ ही आज की रात चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. आज बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा करने का मुहूर्त सूर्योदय से लेकर रात 11 बजकर 5 मिनट तक है. वहीं चंद्र को अर्घ्‍य देने का शुभ समय शाम 6 बजकर 45 मिनट है. 

भगवान बुद्ध ने दिए 4 आर्य सत्‍य 

भगवान गौतम बुद्ध के विचार दुनिया को शांति और दुख से निजात पाने का मार्ग दिलाता है. गौतम बुद्ध ने चार सूत्र दिए हैं जिन्हें 'चार आर्य सत्य ' के नाम से जाना जाता है. इसमें पहला सूत्र है दुःख, दूसरा दुःख का कारण तीसरा दुःख का निदान और चौथा मार्ग वह है जिससे दुःख का निवारण होता है . भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग वह माध्यम है जो दुःख से निजात पाने का मार्ग बताता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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