Budh Stotram: घोड़े की रफ्तार से दौड़ेगा व्यापार, आज पूजा के बाद कर लें बुध स्तोत्र का पाठ
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Budh Stotram: घोड़े की रफ्तार से दौड़ेगा व्यापार, आज पूजा के बाद कर लें बुध स्तोत्र का पाठ

Wednesday Upay: हिंदू शास्त्रों में गणेश जी को प्रथम पूजनीय माना गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से होती है. वहीं, बुध देव की कृपा पाने के लिए यह दिन बेहतर माना गया है. इस दिन बुध स्तोत्र का पाठ करने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है. 

 

budh stotram

Budh Stotra Vidhi: हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं. बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है. इस दिन गणेश जी की पूजा के साथ बुध देव की पूजा का भी विधान है. मान्यता है कि बुधवार के दिन कुछ उपायों को करने से बुध की स्थिति मजबूत होती है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है, वह लोग जीवन में खूब तरक्की पाते हैं. साथ ही, व्यक्ति को व्यापार के क्षेत्र में भी काफी कामयाबी मिलती है. ऐसे में अगर आप भी चाहते हैं, कि आपकी कुडंली में बुध की स्थिति मजबूत बनी रहे, तो इसके लिए बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है. 

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बुध स्तोत्र के फायदे

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में बुध के मजबूत होने पर व्यक्ति को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे में आप हर बुधवार या नियमित रूप से बुध स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होगी. शास्त्रों के अनुसार इस स्तोत्र का पाठ 108 बार करना ज्यादा बेहतर माना गया है.   

अगर आप हरे रंग के वस्त्र घारण करके बुध स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो इसका प्रभाव और भी अच्छा देखने को मिलेगा. वहीं, ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार कुंडली में बुध के मजबूत होने पर जातक मधुरभाषी होता है. इसके साथ ही, उसकी स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है. कार्यक्षेत्र में भी व्यक्ति की स्थिति अच्छी बनी रहती है. 

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बुध स्तोत्र का पाठ 

पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।

धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।1।।

प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।2।।

सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।

सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।3।।

उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।

सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।4।।

शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।

सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।5।।

श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।

रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र: ।।6।।

अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।

अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।7।।

गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।

केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।8।।

ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।

कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।9।।

गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।

सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।10।।

एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।

बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।।11।।

।। इति मंत्रमहार्णवे बुधस्तोत्रम ।।

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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