Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के 9 दिन नहीं रख पा रहे उपवास तो मां अम्बे की कृपा के लिए करें ये काम
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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के 9 दिन नहीं रख पा रहे उपवास तो मां अम्बे की कृपा के लिए करें ये काम

Navratri Mantra Jaap: चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा-उपासना का दिन है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा की पूजा के साथ-साथ उपवास भी रखे जाते हैं. लेकिन अगर आप उपवास नहीं रख रहे हैं तो ये 9 दिन मां दुर्गा के इस मंत्र का जाप कर पूर्ण फल पा सकते हैं.

 

फाइल फोटो

Maa Durga Mantra Jaap: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 22 मार्च से शुरू हुए मां भगवती के नवरात्रि में भक्त सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की उपासना करते हैं. इन दिनों मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने से वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती हैं. हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है.  मान्यता है कि ये नौ दिन मां अम्बे धरती पर भक्तों के बीच होती हैं और उनकी उपासना से प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

ये 9 दिन भक्त मां की विधिपूर्वक उपासना करने के साथ उपवास भी रखते हैं.  लेकिन अगर आपके लिए व्रत रखना संभव नहीं है, तो नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है. इससे मां भगवती की कृपा से उनके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है. जानें दुर्गा सप्तश्लोकी मंत्र पाठ के बारे में.

बेहद चमत्कारी है दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ

नवरात्रि में किया गया दुर्गा सप्तश्लोकी का पाठ बेहद चमत्कारी माना गया है. दुर्गा सप्तश्लोकी के 7 मंत्रों से अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है. इसमें मौजूद 7 श्लोकों के कारण इसे सप्तश्लोकी कहा जाता है. कहते हैं कि इस स्तुति का पाठ मात्र करने से ही व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं.   

दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ

ऊँ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा, बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि,

दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।

शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोस्तुते ते। सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते, भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तुते ते।

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्, त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि, एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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