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नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य ने मनुष्यों के कल्याण के लिए बहुत सी बातें बताई हैं. उन्होंने चाणक्य नीति शास्त्र (Chanakya Niti) की रचना की जिसमें ऐसी कई नीतियां हैं जिन्हें अपनाकर व्यक्ति सफलता की मंजिल को प्राप्त कर सकता है. चाणक्य (Acharya Niti) ने मुश्किल की घड़ी से बाहर निकलने के लिए क्या करना चाहिए इस बारे में भी बताया है. अक्सर संकट के समय लोगों का विवेक सामान्य रूप से काम नहीं करता. इसी कारण व्यक्ति को जान-माल की हानि का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में आचार्य चाणक्य की ये बातें बेहद काम आएंगी.
चाणक्य नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने विपत्ति के समय (During difficult time) व्यक्ति को क्या करना चाहिए और किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए इस बारे में बताया है. पांचवें अध्याय के तीसरे श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं-
तावद् भयेषु भेतव्यं यावद् भयमनागतम् ।
आगतं तु भयं दृष्ट्वा प्रहर्तव्यमशङ्कया।।
अर्थात- किसी भी तरह का दुख, मुसीबत या आपदा से उसी समय तक डरना चाहिए जब तक वे आपसे दूर हैं. लेकिन जब वही संकट या मुश्किल की घड़ी आपके सामने आ जाए, सिर पर आकर खड़ी हो जाए तो निडर होकर, बिना किसी शंका के उस पर प्रहार करें, उसका सामना करें. मुश्किलों से जीतने का और उनसे छुटकारा पाने का यही एक मात्र रास्ता है. जो व्यक्ति ऐसा करता है, वही बुद्धिमान कहलाता है.
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इसके अलावा चाणक्य नीति के पहले अध्याय के सातवें श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं-
आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतां कुत आपद:।
कदाचिच्चलिता लक्ष्मी: सञ्चितोऽपि विनश्यति।।
अर्थात- व्यक्ति को भविष्य में आने वाले किसी भी मुश्किल समय से निपटने के लिए धन का संचय करना चाहिए क्योंकि धन अर्थात देवी लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता है और वह हर वक्त एक ही जगह पर नहीं रहती हैं. इसलिए एक समय ऐसा भी आता है जब इक्ट्ठा किया हुआ रुपया पैसा भी नष्ट हो जाता है. इसलिए आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए धन की बचत करना जरूरी है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)