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Acharya Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीति व्यक्ति को अपने जीवन में सही राह में चलने के बारे में बताती है. हिंदू धर्म में मोक्ष कैसे और कौन प्राप्त कर सकता है इसके बारे में बताया गया है. मोक्ष के बारे में बात करें तो व्यक्ति का जन्म और मरण के चक्र से मुक्त हो जाना.
वहीं आचार्य चाणक्य की नीति के अलावा हिंदू धर्म में सबसे पवित्र ग्रंथ मानें जाने वाली गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने अजुर्न से कहा था कि सही कर्म करने वाले, झूठ ना बोलने वाले, माता पिता की सेवा करने वाले भगवान की भक्ति में लीन रहने वाले और ज्ञान को अर्जित करने वाला व्यक्ति उन्हें अति प्रिय है. ऐसे लोगों को मृत्यु के बाद मोक्ष् की प्राप्ति अवश्य ही होती है.
वहीं आचार्य चाणक्य नीति में धर्म और कर्म को लेकर विस्तार में वर्णन किया गया है. उनके अनुसार यदि व्यक्ति धर्म पक्ष पर चलता है तो उसे धरती पर ही स्वर्ग के समान सुखों की प्राप्ति हो सकती है. जिसके लिए उसके पास कुछ विशेष गुण होने आवश्यक हैं. जिसके बारे में चाणक्य नीति के श्लोक के जरिए जानें.
क्या कहता है चाणक्य नीति का यह श्लोक
मातृवत् परदारांश्च परद्रव्याणि लोष्ठवत्.
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पश्यति॥
आचार्य चाणक्य की नीति शास्त्र का यह श्लोक बारहवें अध्याय के 13वें श्लोक से लिया गया है. जिसमें यह बताया गया है कि जो व्यक्ति पराई स्त्री को मां के समान देखें, दूसरे के धन को पत्थर समझे और धरती पर सभी प्राणियों को अपनी आत्मा तो ऐसे व्यक्ति धरती पर ही स्वर्ग के समान सभी सुखों की प्राप्ति करते हैं. ऐसे लोग सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान होते हैं.
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जानें चाणक्य नीति के दूसरे श्लोक का अर्थ
वहीं दूसरे श्लोक में चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति मीठा बोलता है, धर्म और कर्म पर विश्वास रखता है, लोगों को दान करने में भरोसा रखता है, गुरु के लिए मन में सम्मान रचाता है, ह्रदय से गंभीर रहता है, आचरण पवित्र हो और परम पिता परमेश्वर की भक्ति में हमेशा लीन रहता हो वैसा व्यक्ति सज्जन पुरुष माना जात है. ऐसे सज्जन भगवान श्री कृष्ण के अति प्रिय होते हैं और इन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)