Chanakya Niti: कष्टों में जिंदगी बिताते हैं ऐसे लोग, इस एक काम से होता है सबसे अधिक दुख
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Chanakya Niti: कष्टों में जिंदगी बिताते हैं ऐसे लोग, इस एक काम से होता है सबसे अधिक दुख

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में एक श्लोक के माध्यम से ऐसे लोगों के बारे में बताया है जो संसार में सबसे ज्यादा दुखी रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपने अनुरूप कोई भी कार्य नहीं कर सकते हैं. 

सांकेतिक तस्वीर

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के एक सफल दार्शनिक और महान अर्थशास्त्री माने जाते हैं. चाणक्य अपने समय के इतने बड़े दार्शनिक और विद्वान थे जो इंसान के कर्मों को देखकर उसके भविष्य का आकलन कर लेते थे और आने वासे समय के बारे में सटीक बातें बाता देते थे. आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से सफल जीवन जीने का जरिया बताया है. आइए जानते हैं चाणक्य नीति की खास बात.

  1. दुखों में गुजरती है जिंदगी
  2. होता है सबसे अधिक कष्ट
  3. चाणक्य नीति में है जिक्र

सबसे बड़ा कष्ट है ये

नीति शास्त्र में चाणक्य ने कई ऐसी बातें बताई हैं जो सुनने में थोड़ी कड़वी है, लेकिन इसका पालन कर व्यक्ति खुशहाल जीवन का आनंद ले सकता है. ऐसे ही चाणक्य ने ऐसी स्थिति के बारे में बताया है जब इंसान सबसे ज्यादा कष्ट में होता है. इस संबंध में चाणक्य ने नीति शास्त्र में एक श्लोक का वर्णन किया है. श्लोक है- 'कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्, कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम्'. इस श्लोक का भावार्थ है कि मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, लेकिन दूसरों के घर में रहना सबसे बड़ा कष्ट है. 

मूर्खता 

आचार्य चाणक्य के मुताबिक इंसान चाहे तो आसानी से खुशी प्राप्त कर सकता है. परंतु जो लोग मूर्ख होते हैं, वे सही और गलत की समझ भूल जाते हैं. ऐसे में उन्हें हमेशा किसी ना किसी परशानियों का सामना करना पड़ता है.  

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यौवन

चाणक्य कहते हैं कि जवानी में भी इंसान काफी दुखी रहता है. दरअसल ये एक ऐसी उम्र है जिसमें इंसान के भीतर सैकड़ों इच्छाएं पैदा होती हैं. जिसमें से कुछ ही पूरी हो पाती हैं. इस अवस्था में इंसान इंसान इतना जोशीला हो जाता है कि वह थोड़ा पाकर ही अपने अहंकार में हर एक चीज को भूल जाता है. जिस कारण उसे आगे चलकर कष्टों का सामना करना पड़ता है. 

दूसरों के घर में रहना

चाणक्य के अनुसार, मूर्खता और यौवन से भी अधिक कष्टकारी है दूसरे के घर में रहना. दरअसल जब इंसान दूसरों के घर में रहता है तो वह पूरी तरह से उसी पर आश्रित रहता है. उसकी स्वतंत्रता पूरी तरह से खत्म हो जाती है. ऐसे में जब व्यक्ति खुद के मुताबिक काम नहीं कर पाता है तो वह भीतर से घुटने लगता है. जो उसके लिए बेहद कष्टकारी होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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