Mailapur Village: 3000 के इस गांव में कोई खाट पर नहीं सोता, चिकन से भी है परहेज; वजह है धार्मिक
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Mailapur Village: 3000 के इस गांव में कोई खाट पर नहीं सोता, चिकन से भी है परहेज; वजह है धार्मिक

Chicken free village: ऐसे गांव की मिसाल आपको पूरे देश में शायद ढूंढने से भी नहीं मिलेगी. ये एक धार्मिक जगह है. यहां के स्थानीय देवता को नींद बहुत प्रिय है. उनकी नींद में कोई व्यवधान न पड़े इसलिए यहां के लोग कई प्रोटोकॉल फॉलो करते हैं.

Mailapur Village: 3000 के इस गांव में कोई खाट पर नहीं सोता, चिकन से भी है परहेज; वजह है धार्मिक

Mailapur Mallaya Temple, Mailapur Mallaya Yadgir: जिन्हें नींद प्यारी होती है, वो अलार्म नहीं लगाते. ऐसे लोगों के घरवाले भी जानते हैं कि बच्चे को नींद प्यारी है, इसलिए वो भी उन्हें नहीं जगाते वो यह सोचते हैं कि नींद पूरी हो जाएगी तो वो खुद उठ जाएंगे. लेकिन क्या आपको किसी ऐसे देवता या भगवान के बारे में जानकारी है, जिनकी नींद में खलल न पड़ जाए इसलिए वहां दूर-दूर तक कोई मुर्गा या मुर्गी नहीं पालता है. अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं इस अनोखे गांव के बारे में. जहां रहने वालों की ईश्वर में गहरी आस्था है. वो सदियों से चली आ मान्यताओं में रचे बसे हैं. ग्रामीण परंपराएं और मान्यताएं पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हैं. इसलिए इस गांव में कोई मुर्गी नहीं पालता है. ये गांव एक और खासियत के लिए भी मशहूर है, जिससे बहुत से लोग अनजान होंगे.

मैलारिलिंगय्या मल्लय्या का पवित्र धाम 

बेंगलुरु से करीब 520 किमी और यादगीर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर स्थित इस गांव की आबादी करीब 3000 है. इस गांव में मुख्य रूप से कपास, अरहर, मिर्च और गन्ने की खेती होती है. शुष्क भूमि वाले इस गांव की एक और ऐसी खासियत है, जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे. क्योंकि इस गांव में जिस तरह एक भी मुर्गी या मुर्गा नहीं है यानी कोई भी मुर्गी पालन व्यवसाय से नहीं जुड़ा है. उसी तरह यहां रहने वाला कोई भी शख्स चारपाई या खाट में नहीं सोता है.

न कोई खाट पर सोता न मुर्गा- मुर्गी पालता जानिए इसकी वचह

मैलारिलिंगय्या मल्लय्या यहां के आराध्य हैं. जिन्हें भगवान शिव का अवतार कहा जाता है. इनके बारे में कहा जाता है कि ये ऐसे देवता हैं जिन्हें विशेष रूप से नींद के दौरान किसी तरह का व्यवधान बर्दाश्त नहीं हैं. खासकर मुर्गे की छोटी-छोटी आवाजों की वजह से जागने पर उन्हें परहेज है. ऐसे में यहां दूर-दूर तक मान्यता है कि अगर भगवान की नींद में खलल पड़ा तो गांव के लोगों को भगवान के कोपभाजन यानी उनके श्राप/ शाप का सामना करना पड़ेगा.

विकलांग हो या नवजात बच्चों वो भी निभाती हैं परंपरा 

अब, खाट पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि यहां पर ये भी मान्यता है कि मल्लय्या और उनकी पत्नी, देवी तुरंगा देवी, खाट पर विराजते हैं. वो भक्तों पर आशीर्वाद बरसाते हैं. इसलिए उनका सम्मान करने के लिए, सभी लोग यहां तक ​​​​कि विकलांग और नवजात शिशुओं वाली माताएं भी देवी के गुस्से से बचने के लिए फर्श पर सोना पसंद करते हैं.

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