Dev Uthani Ekadashi 2022: 4 माह बाद इस दिन जागेंगे भगवान विष्णु, जगाने के लिए करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप
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Dev Uthani Ekadashi 2022: 4 माह बाद इस दिन जागेंगे भगवान विष्णु, जगाने के लिए करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप

Dev Uthani Ekadashi Mantra: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह बाद योगनिद्रा से जागते हैं. इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इस दिन पूजा-पाठ और व्रत आदि का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं इस दिन भगवान को निद्रा से जगाते समय किन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. 

 

फाइल फोटो

Dev Uthani Ekadashi 2022 Vidhi: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन चतुर्मास का समापन होता है. इसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 माह बाद योग निद्रा से जागते हैं. इसके अगले दिन भगवान शालीग्राम का तुलसी जी से विवाह किया जाता है और इसी के साथ सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. 

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है. इसे देवोत्थान ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु को उनके प्रिय मंत्रों के उच्चारण के साथ जगाया जाता है. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के इन चमत्कारी मंत्रों के बारे में. 

भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्र

प्रभावशाली मंत्र

ॐ अं वासुदेवाय नम:

ॐ आं संकर्षणाय नम:

ॐ अं प्रद्यम्नाय नम:

ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:

ॐ नारायणाय नम:

भगवान विष्णु स्तोत्रम्
किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन: ।

यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव: ।।

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।

गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।

गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।

दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम् ।।

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।

गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ।।

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव: ।

अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च ।।

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च ।

मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ।।

 

भगवान विष्णु मूल मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय ।।

 

लक्ष्मी विनायक मंत्र

दन्ताभये चक्र दरो दधानं

कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम् ।

धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया

लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे ।।

भगवान विष्णु पंचरूप मंत्र

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 
 

 

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