Devuthani Ekadashi: गुर्जर समाज के बीच ऐसे मनाई जाती है देवउठनी एकादशी, इस रात होता है कुछ ऐसा
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Devuthani Ekadashi: गुर्जर समाज के बीच ऐसे मनाई जाती है देवउठनी एकादशी, इस रात होता है कुछ ऐसा

Dev Uthani Ekadashi In Gurjar Society: देवउठनी एकादशी को गुर्जर समाज में अनोखे तरीके से मनाया जाता है. इस पर्व की रात गुर्जर समाज की महिलाएं एक दूसरे के घर गीत गाती हुई भगवान को जगाती हैं. 

Devuthani Ekadashi: गुर्जर समाज के बीच ऐसे मनाई जाती है देवउठनी एकादशी, इस रात होता है कुछ ऐसा

Dev Uthani Ekadashi In Gurjar Society: देवउठनी एकादशी देश भर में मनाई जाती है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के भक्त अपने-अपने तरीके से इस पर्व को मनाते हैं. कोई भक्त उपवास करके इस पर्व को मनाता है तो कोई इस दिन उपवास के साथ पूजा-पाठ भी करता है. कोई भक्त इस दिन दान पुण्य करता है तो कोई भक्त मंगल आरती के साथ इस पर्व को मनाता है. कहने का मतलब है कि सभी लोग अपने-अपने तरीके से इस पर्व को मनाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं.

गुर्जर समाज के लोग अनोखे तरीके से मनाते हैं इस पर्व को

इस पर्व को गुर्जर समाज में अनोखे तरीके से मनाया जाता है. एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक गुर्जर समाज की महिलाएं इस दिन ग्रुप बनाकर रात के सबके घर में जाती हैं. वहां पहुंच कर ये महिलाएं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए देवउठान के गीत गाती हैं और देवताओं को जगाती हैं. इस दौरान घर के लोग महिलाओं की इन टोलियों को रुपये पैसे देते हैं.

मंदिर में दान होता है कुछ हिस्सा

गांव से प्राप्त देवउठानी की रकम का कुछ हिस्सा सबकी सहमति के बाद मंदिर में दान कर दिया जाता है. एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक बाकी के बचे पैसों का मिठाई मंगाकर लोगों के बीच बांट दिया जाता है. मिठाई बांटने का काम रात में ही होता है. इस दिन गांव के सभी घरों के मुख्य द्वार पर खड़िया या चॉक की सहायता से उस घर में रह रहे सभी सभी सदस्यों के पैरों की आकृति बनाई जाती है. इसके अलावा घर में मौजूद जानवरों के खुरों की चित्र भी उकेरी जाती है. इन चित्रों पर महिलाओं की टोली दीप जलाती है और उसपर दिया जलाकर गीत गाती है. गित कुछ इस तरह के होते हैं. 

यहां पढ़ें पूरी गीत

उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मास
नई टोकणी, नई कपास
जा रे मूसे गोल जा
गोल जाकै, डाब कटा
डाब कटा कै, बाण बटा
बाण बटा कै ,खाट बुणा
खाट बुणा कै, दरी बिछा
दरी बिछा कै लौट लगा
लौट लगा कै मौटा हो,
मौटा हो, झौटा हो
अपला गाय, कपला गाय...

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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