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नई दिल्ली: हिंदू धर्म, शास्त्र, वास्तु और पंचांग आदि में दिशाओं को बहुत महत्व दिया गया है. यदि दिशाओं के अनुसार काम न किए जाएं तो वे अशुभ फल देते हैं. कई बार गलत दिशा में यात्रा करना या सामान रखना बहुत भारी पड़ सकता है. इसलिए धर्म, ज्योतिष, शास्त्रों आदि में दिशा शूल को ध्यान में रखकर यात्राएं करने की सलाह दी गई है.
दिशाशूल से मतलब है कि संबंधित दिशा में यात्राएं करने से बाधाएं आएंगी या कष्ट झेलने वाले पड़ेंगे. लिहाजा संबंधित दिन संबंधित दिशा में यात्रा न करें. हालांकि घर से यात्रा पर निकलने के लिए दिशा शूल को ध्यान में रखना चाहिए लेकिन यात्रा से घर वापस आने के लिए दिशा शूल को मानने की जरूरत नहीं होती है.
सप्ताह के हर दिन को लेकर दिशा शूल बताए गए हैं. यानी कि उस विशेष दिन संबंधित दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए.
- सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा में दिशा शूल माना जाता है. यानी कि इन दोनों दिनों में पूर्व की यात्रा न करें.
- मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है, लिहाजा इस दिशा में यात्रा न करें. साथ ही मंगलवार को उत्तर-पश्चिम कोण में भी दिशा शूल माना जाता है.
- बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व कोण में दिशा शूल होता है.
- गुरूवार को दक्षिण दिशा में दिशा शूल माना जाता है, लिहाजा गुरुवार को दक्षिण में यात्रा न करें.
- शुक्रवार और रविवार को पश्चिम दिशा और दक्षिण-पश्चिम कोण में दिशा शूल होता है इस दिन इन दिशाओं में यात्रा के लिए न निकलें.
- इसके अलावा सोमवार और गुरूवार को दक्षिण-पूर्व कोण में भी दिशा शूल माना जाता है.
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यदि यात्रा पर जाना बेहद जरूरी हो तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इसके लिए रविवार को दिशा शूल वाली दिशा में यात्रा करें तो पान या घी खाकर निकलें, वहीं सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर घर से निकलें. मंगल को गुड़ खाकर, बुधवार को धनिया या तिल खाकर, गुरुवार को जीरा या दही खाकर, शुक्रवार को दही पीकर और शनिवार को अदरक या उड़द खाकर यात्रा पर निकलें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)