Mahashivratri 2024: वैवाहिक जीवन में चल रहा है तनाव? महाशिवरात्रि पर व्रत रखने के साथ करें ये काम, बढ़ेगा प्यार
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Mahashivratri 2024: वैवाहिक जीवन में चल रहा है तनाव? महाशिवरात्रि पर व्रत रखने के साथ करें ये काम, बढ़ेगा प्यार

Mahashivratri ke Upay: यदि दांपत्य जीवन की गाड़ी के दोनों पहिए एक ही दिशा में न चलकर अलग-अलग चल रहे हैं. सुख-शांति की जगह मनमुटाव और नोकझोक ने ले ली है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी बात नहीं बन रही है, तो आपको महाशिवरात्रि का उपवास जरूर रखना चाहिए.

Mahashivratri 2024: वैवाहिक जीवन में चल रहा है तनाव? महाशिवरात्रि पर व्रत रखने के साथ करें ये काम, बढ़ेगा प्यार

Mahashivratri 2024: यदि दांपत्य जीवन की गाड़ी के दोनों पहिए एक ही दिशा में न चलकर अलग-अलग चल रहे हैं. सुख-शांति की जगह मनमुटाव और नोकझोक ने ले ली है और आपकी लाख कोशिशों के बाद भी बात नहीं बन रही है, तो आपको महाशिवरात्रि का उपवास जरूर रखना चाहिए. इसके साथ ही जिस भी कन्या या लड़के का विवाह नहीं हो रहा है, उन्हें भी उपवास रखने के साथ भोलेबाबा से अच्छे जीवनसाथी की प्रार्थना करनी चाहिए. 

 

सबसे बड़ी 'शिवरात्रि'
शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को 'शिवरात्रि' का व्रत होता है परन्तु फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को 'महाशिवरात्रि' के नाम से जाना जाता है, नाम से ही स्पष्ट है कि यह शिवरात्रि सबसे बड़ी है. कुछ लोग की मान्यता है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव का प्राकट्य दिवस हैं किंतु शिव तो अनादि हैं तथा वे काल से परे हैं. इसलिए शिव तो सर्वत्र और सदैव विद्यमान हैं. 

 

अर्पित करें ये चीजें
स्कंद पुराण में शिवरात्रि के दिन  उपवास और रात्रि जागरण करने की बात कही गयी है. विधि-विधान से शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर काले तिलों से स्नान किया जाता है तथा पूरे दिन व्रत रखा जाता है. रात्रि में शिवजी का पूजन किया जाता है. शिवजी के सबसे प्रिय पुष्पों में मदार अर्थात आकड़ा, कनेर, बेलपत्र, तथा मौलश्री हैं. पूजन में बिल्वपत्र सबसे प्रमुख है. शिवजी पर पका आम चढ़ाने से विशेष फल प्राप्त होता है. उन पर गाजर, बेर, धतूरा, भांग आदि भी चढ़ाई जाती है. शिवलिंग पर चढ़ाए गए पुष्प, फल तथा जल आदि को केवल सिर से लगाया जाता है, मुंह में नहीं ग्रहण नहीं किया जाता. 

 

चारों प्रहरों में पूजा का महत्व
शिवरात्रि के चारों प्रहरों में शिवजी की पूजा की जाती है. सभी पूजाएं ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के 16 मंत्र बोलकर की जाती हैं. 

- जो लोग पुरुषसूक्त के मंत्र नहीं पढ़ सकते, वे पहले प्रहर की पूजा महामृत्युंजय मंत्र से कर सकते हैं. इसी मंत्र से भगवान शिव का आह्वान, ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, स्नान, आचमन, वस्त्र, केसर, पुष्प, अक्षत, धूप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती और पुष्पांजलि अर्पित की जाती है. 

दूसरे प्रहर में उन्हें फल, फूल एवं पूजन सामग्री चढ़ाई जाती है तथा आरती की जाती है. 

तीसरे प्रहर में मंत्र से पूजा कर उनकी आरती उतार कर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है. 

चौथे प्रहर शिवरात्रि व्रत की कथा सुनने के बाद पारण किया जाता है. 

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