Dowry Prohibition: कुछ लोग दहेज (Dowry) को तो बुरा बताते हैं लेकिन शादी में ढेर सारे तोहफे ले लेते हैं. क्या यह जायज है? क्या इसे भी दहेज कहा जा सकता है? कुरान (Quran) में इसके बारे में क्या कहा गया है?
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Dowry in Muslims: दहेज (Dowry) एक ऐसी कुप्रथा है, जिसके चक्कर में कई लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है. कई बार दहेज देने के चक्कर में लड़की के माता-पिता कर्ज में डूब जाते हैं. दहेज की रस्म लड़की वालों पर आफत बनकर टूटती है. जान लें कि इस्लाम (Islam) में दहेज को हराम बताया गया है. इसे सरासर गलत कहा गया है. साफ कहा गया है कि अगर किसी चीज की मांग लड़की वालों से लड़के वाले करते हैं तो यह गलत है. ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कोई दहेज मांगता है, उसे लड़की वालों की मर्जी के बगैर लेता है या उन्हें मजबूर करता है तो इससे बरकत और खैर चली जाती है. आइए जानते हैं कि इस्लाम में दहेज के बारे में बताया गया है.
दहेज के नाम पर तोहफा क्या जायज?
जान लें कि अगर लड़की पक्ष के लोग अपनी इच्छा से कोई तोहफा लड़के वालों को देते हैं तो वह जायज है. हालांकि, ये ध्यान रखना चाहिए कि गिफ्ट्स का लेन-देन दोनों तरफ से होना चाहिए. सिर्फ लड़की वालों को ही तोहफा नहीं देना चाहिए. लेकिन अगर तोहफे सिर्फ एक तरफ से दिए जा रहे हैं और उससे जाहिर हो रहा है कि दहेज दिया जा रहा है तो ये ठीक नहीं है.
कुरान में क्या है लिखा?
कुरान में कहा गया है कि ऐ ईमान वालों! आपस में एक-दूसरे के माल को नाहक तरीकों से मत खाओ. (सूरह निसा). अल्लाह के रसूल ने बताया कि किसी का माल उसकी दिली मर्जी के बगैर हलाल नहीं है. अल्लाह के रसूल ने कहा कि तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि उसकी ख्वाहिशें उस शरीयत के अनुसार न हों, जिसे मैं लेकर आया हूं.
मौलाना थानवी का बयान
मौलाना अशरफ अली थानवी का कहना है कि दहेज लेते वक्त इसका ध्यान जरूर रखें कि गुंजाइश से ज्यादा नहीं दें. जरूरत का लिहाज करना चाहिए. जिन चीजों की उस समय जरूरत है, उनको ही देना चाहिए. इसका ऐलान नहीं होना चाहिए क्योंकि यह अपनी बेटी से हमदर्दी है. इसे दूसरों को दिखाने की जरूरत क्या है.
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