Ganesh Festival: गणेशोत्‍सव से घबराते थे अंग्रेज, आजादी की लड़ाई में ऐसे निभाई थी बड़ी भूमिका
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Ganesh Festival: गणेशोत्‍सव से घबराते थे अंग्रेज, आजादी की लड़ाई में ऐसे निभाई थी बड़ी भूमिका

Ganesh Festival in Pune: पुणे का गणपति उत्‍सव पूरी दुनिया में मशहूर है. सार्वजनिक गणेशोत्‍सव की शुरुआत यहीं से हुई थी और इसे आजादी की लड़ाई लड़ रहे क्रांतिकारियों ने शुरू किया था. 

Ganesh Festival: गणेशोत्‍सव से घबराते थे अंग्रेज, आजादी की लड़ाई में ऐसे निभाई थी बड़ी भूमिका

Who started ganesh Utsav and Why: गणेश उत्‍सव भारत के कई राज्‍यों समेत दुनिया के कई देशों में भी मनाया जाता है. वैसे इसकी शुरुआत महाराष्‍ट्र के पुणे शहर से हुई थी और एक खास मकसद के लिए की गई थी, वरना इससे पहले गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणपति बप्‍पा की मूर्तियां केवल घरों में ही विराजमान की जाती थीं. लेकिन स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी और आजादी की लड़ाई के जनक लोकमान्‍य बाल गंगाधर तिलक ने इसे अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को इकट्ठा करने के लिए एक हथियार की तरह इस्‍तेमाल किया. आलम यह हुआ कि अंग्रेज गणेश उत्‍सव से घबराने लगे थे. 

स्‍वराज मेरा जन्‍मसिद्ध अधिकार है.... 

'स्‍वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा.' का नारा देने वाले राष्‍ट्रवादी लोकमान्‍य बाल गंगाधर तिलक ने 1893 में पुणे में सार्वजनिक गणेश उत्‍सव की शुरुआत की थी. दरअसल, ब्रिटिश काल में लोग किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव को साथ मिलकर या एक जगह इकट्ठा होकर नहीं मना सकते थे. लिहाजा लोग घरों में ही गणपति की पूजा किया करते थे. तब लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेशोत्सव मनाया. आगे चलकर यह सार्वजनिक गणेश उत्‍सव एक आंदोलन बना और इसने स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों को एक जुट करने में अहम भूमिका निभाई. है.

गणेशोत्‍सव को सार्वजनिक महोत्सव का रूप देते समय उसे न केवल आजादी की लड़ाई के लिए हथियार बनाने के तौर पर इस्‍तेमाल किया गया, बल्कि इसे छुआछूत दूर करने और समाज को संगठित करने और लोगों को जागरुक करने का जरिया भी बनाया गया. 

विराट स्‍वरूप ने डरा दिया था अंग्रेजों को 

वीर सावरकर समेत कई अन्य क्रांतिकारियों ने गणेशोत्सव का उपयोग आजादी की लड़ाई के लिए किया. जल्‍द ही पूरे महाराष्ट्र में सार्वजनिक स्‍थलों पर गणेश स्‍थापना होने लगी और इनमें वीर सावकर, लोकमान्य तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जयकर, रेंगलर परांजपे, पंडित मदन मोहन मालवीय, मौलिकचंद्र शर्मा, बैरिस्टर चक्रवर्ती, दादासाहेब खापर्डे और सरोजनी नायडू आदि लोग भाषण देते थे. इस तरह गणेशोत्सव स्वाधीनता की लड़ाई का एक मंच बन गया था. हालत यह हो गई कि अंग्रेज भी गणेशोत्सव के बढ़ते स्वरुप से घबराने लगे थे. यहां तक कि इस बारे में रोलेट समिति रिपोर्ट में भी चिंता जतायी गयी थी. 

अब पुणे से शुरू हुआ गणेश पर्व पूरी दुनिया में मनाया जाता है और 10 दिन के गणेश स्‍थापना पर्व को विभिन्‍न देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस साल 19 सितंबर 2023 से प्रारंभ होगा और 28 सितंबर को गणेश विसर्जन होगा. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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