Garuda Purana: अकाल मृत्यु वालों की आत्मा को कैसे मिलती है शांति, गरुड़ पुराण में बताए गए हैं उपाय
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Garuda Purana: अकाल मृत्यु वालों की आत्मा को कैसे मिलती है शांति, गरुड़ पुराण में बताए गए हैं उपाय

Garun Puran: व्यक्ति की अगर अचानक किसी घटना या किसी बीमारी की वजह से मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा भटकती रहती है. ऐसे में गरुड़ पुराण के अनुसार कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिनसे इनकी आत्मा को शांति मिल सकती है.

 

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Garuda Purana Tips: गरुड़ पुराण एक ऐसा धर्म ग्रंथ है जिसमें व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु से जुड़ी सारी बातों के बारे में जाना सकता है. इसी गरुड़ पुराण में व्यक्ति के मरने के उपरांत यह पता लगाया जा सकता है कि उसकी आत्मा का मुक्ति मिली है कि नहीं.

बता दें कि इसी गरुड़ पुराण के अनुसार यदि किसी व्यक्ति अकाल  मृत्यु यानी कि किसी बीमारी या फिर किसी घटना में हो जाए तो उसकी आत्मा भटकती रहती है. इसलिए उसकी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस पूजा के बाद भटकती आत्मा को मुक्ति मिल जाती है. आइए गरुड़ पुराण में विस्तार में इसके बारे में जानते हैं कि आत्मा की शांति के लिए किस प्रकार की पूजा और किस विधान से करानी चाहिए.

आत्मा की शांति के लिए कराएं नारायण बलि की पूजा

धर्म ग्रंथ गरुड़ पुराण की मानें तो यदि किसी घटना या बीमारी की वजह से व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो उसकी आत्मा भटकने लगती है. उस व्यक्ति की आत्मा बहुत ही दुखदायी होती है. ऐसे में अचानक हुई मौत के वजह से आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए नारायण बलि की पूजा की जाती है. इस पूजा का अनुष्ठान करना लाभकारी माना जाता है.  

बता दें कि गरुड़ पुराण में यह बात बताई गई है कि जब आत्मा को शांति नहीं मिलती है तो वह आत्मा प्रेत योनी में चल जाती है. यहीं पर आत्मा को प्रेत योनी से छुटकारा दिलाने के लिए नारायण बलि की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करने से आत्मा कर्मकांड से मुक्त हो जाती है.

जानें बलि पूजा की विधि

बता दें कि गरुड़ पुराण के अनुसार यदि आत्मा की शांति चाहते हैं तो इसके लिए नारायण बलि की पूजा किसी तीर्थ स्थान पर कराना चाहिए. इस पूजा में तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम से एक एक पिंड बनाते हैं. वहीं इस पूजा को पांच उच्च वेद पाठी पंडितों द्वारा संपन्न कराया जाता है. इस पूजा को उसी मृत्यु  व्यक्ति के परिजन करा सकते हैं जिसकी मृत्यु अकाल रूप में हुई हो. इस पूजा को करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिल जाती है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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