कभी ‘स्त्री गणेश’ के किसी मंदिर में गए हैं आप? जानिए विनायकी की पूजा का रहस्य
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कभी ‘स्त्री गणेश’ के किसी मंदिर में गए हैं आप? जानिए विनायकी की पूजा का रहस्य

बहुत कम लोग होंगे जो फोटो में दिख रहे ‘स्त्री गणेश’ के बारे में पहले से जानते होंगे. अर्धनारीश्वर को मानने वाली सनातन परंपरा की महिमा ही निराली है.

स्त्री गणेश.

नई दिल्ली: ये बात बहुत लोगों को थोड़ी अजीब लग सकती है कि गणेश (Ganesh) जी के पुरुष रूप के बजाय उनके स्त्री रूप को पूजा जाए. अर्धनारीश्वर को मानने वाली सनातन परंपरा की महिमा ही निराली है. यहां शिव की पूजा भी होती है और शक्ति की भी. यहां विष्णु जी का मोहिनी अवतार है तो गणेश जी का भी स्त्री अवतार है. गणपति बप्पा के स्त्री रूप को गणेशी, विनायकी आदि नामों से देशभर में पूजा जाता है. ये अलग बात है कि आपके लिए ये जानकारी हैरत भरी हो सकती है.

  1. विनायकी को गणेशी, गजानंदी, विघ्नेश्वरी और गणेशनी नामों से जाना जाता है
  2. विष्णु जी का मोहिनी अवतार है तो गणेश जी का भी स्त्री अवतार है
  3. विनायकी की पूजा करना गुप्त काल में शुरू हुआ था

बहुत कम लोग होंगे जो फोटो में दिख रहे ‘स्त्री गणेश’ के बारे में पहले से जानते होंगे. भारत भूमि में उपजे तमाम धर्म पंथों में शक्ति की पूजा अहम रही है इसीलिए यहां लगभग हर देवता के स्त्री स्वरूप की कल्पना भी की गई है. स्त्री गणेश यानी विनायकी की मूर्तियां देशभर में कई जगह मिली हैं और कई मंदिरों में अब भी उनके दर्शन किए जा सकते हैं.

विनायकी को गणेशी, गजानंदी, विघ्नेश्वरी, गणेशनी, गजाननी, गजरूपा, रिद्धिसी, स्त्री गणेश और पीतांबरी जैसे कई नामों से अलग-अलग ग्रंथों में लिखा गया है. दिलचस्प बात है कि केवल हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी विनायकी की पूजा होती है. जैन और बौद्ध ग्रंथों में विनायकी को एक अलग देवी के तौर पर माना गया है. इनकी मूर्तियों का स्वरूप गणेश जी जैसा ही है. मतलब सिर हाथी का और धड़ स्त्री का होता है. विनायकी जी को कई जगह 64 योगिनियों में भी शामिल किया गया है.

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विनायकी की सबसे पुरानी टेराकोटा की मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व राजस्थान के रायगढ़ में पाई गई थी. ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाकर विनायकी की पूजा करना गुप्त काल में यानी तीसरी चौथी शताब्दी में शुरू हुआ था.

मगध साम्राज्य के केंद्र यानी बिहार से भी दसवीं सदी की विनायकी की एक मूर्ति मिली थी. मध्य प्रदेश के भेड़ाघाट में सुप्रसिद्ध 64 योगिनी मंदिर में 41वें नंबर की मूर्ति विनायकी की है. 64 योगिनियों में शामिल होने का मतलब है कि तंत्र विद्या के पूजक भी इनकी पूजा करते आए हैं. केरल के चेरियानद के मंदिर में भी विनायकी की मूर्ति है जो लकड़ी की बनी है.

पुणे से 45 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बने भूलेश्वर मंदिर में भी विनायकी की प्रतिमा है जो 13वीं सदी की है. दूर-दूर से भक्त इनके दर्शन करने जाते हैं. बौद्ध धर्म के लोग इसे सिद्धि कहते हैं तो कई ग्रंथों में विनायकी को ईशान की बेटी कहा गया है. ईशान प्रभु को शिव का अवतार कहा जाता है. ऐसा नहीं है कि केवल इन सभी मंदिरों में विनायकी की मूर्तियां मिलती हैं. देशभर में तमाम ऐसे पंथ और मंदिर हैं जो सदियों से गणेश जी के स्त्री रूप की पूजा करते आए हैं.

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