Krishna and Shukla Paksha: आखिर कैसे हुई थी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत? जानिए इसकी पौराणिक कथा
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Krishna and Shukla Paksha: आखिर कैसे हुई थी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत? जानिए इसकी पौराणिक कथा

Hindu Mythology: हिंदू पंचांग के अनुसार पूरे माह और साल के पर्व और त्योहार की तारीख तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में पता लगाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है चंद्रमा को मिले एक श्राप की वजह से कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत हुई थी? चलिए जानते हैं इसके पीछे की कथा. 

 

Krishna and Shukla Paksha: आखिर कैसे हुई थी कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत? जानिए इसकी पौराणिक कथा

Krishna and Shukla Paksha Story In Hindi: हिंदू पंचांग के मुताबिक हर माह में 30 दिन होते हैं जिनकी गणना चंद्रमा और सूरज की गति को देखकर की जाती है. इसी पंचांग के अनुसार पूरे माह और साल के पर्व और त्योहार की तारीख तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में पता लगाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है चंद्रमा को मिले एक श्राप की वजह से कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत हुई थी? अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की पूरी पौराणिक कथा. 

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की गणना
हिंदू पंचांग के मुताबिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानि कि पूर्णिमा के बाद से नए महीने की शुरुआत हो जाती है. हर महीने को कृष्ण और शुक्ल पक्ष के आधार पर चन्द्रमा की कलाओं के ज्यादा या कम होने के मुताबिक दो भागों में बाटां जाता है. कृष्ण पक्ष पूर्णिमा से अमावस्या के बीच के दिनों को बताया जाता है. इसके विपरीत शुक्ल पक्ष अमावस्या से पूर्णिमा तक के समय कहा जाता है. 

कृष्ण पक्ष की शुरुआत कैसे हुई
पौराणिक कथा के मुताबिक प्रजापति दक्ष की 27 बेटियों की शादी चंद्रमा से कर दी गई थी. मगर चंद्रमा सभी में से केवल एक पुत्री रोहिणी को प्रेम करते थे. जिस वजह से दक्ष से बाकी की पुत्रियों ने शिकायत की. फिर दक्ष के लाख समझाने के बाद भी चंद्र सारी पत्नियों में से केवल रोहिणी को ही अपनी पत्नी माना करते थे जिससे वो उनको अनदेखा कर देते थे. इसके बाद प्रजापति दक्ष नें क्रोध में आकर चंद्र को क्षय रोग का श्राप दिया. फिर इस श्राप की वजह से धीरे-धीरे चंद्रमा का तेज कम होता चला गया जिससे कृष्ण पक्ष की शुरुआत हुई थी. 

शुक्ल पक्ष कैसे शुरू हुआ 
फिर क्षय के श्राप के कारण चंद्रमा धीरे-धीरे घटकर अपने अंत के पास पहुंच गया. इस स्थिति को देखते हुए चंद्रमा सहायता के लिए ब्रह्मा जी चंद्रमा के पास गए. इसके बाद चंद्र को इंद्र और ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की आराधना करने के लिए कहा. फिर शिव जी चंद्र की आराधना से प्रसन्न हो गए. इसके बाद भोले ने चंद्र को अपनी जटाओं में स्थान दिया. फिर इससे बाद से चंद्रमा का तेज वापस आने लगा. तभी से शुक्ल पक्ष की शुरुआत हुई. इसी श्राप के चलते चंद्र को कभी कृष्ण पक्ष तो कभी शुक्ल पक्ष में जाना पड़ता है

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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