होली 2020: होलाष्टक डरें या नहीं? जानिए क्या कहते हैं जानकार
Advertisement
trendingNow1648848

होली 2020: होलाष्टक डरें या नहीं? जानिए क्या कहते हैं जानकार

जानकार बताते हैं कि होली के ठीक पहले के आठों दिन तंत्र साधना के लिये उपयुक्त होते हैं. 

फाइल फोटो...

नई दिल्ली: संस्कृत में अष्ट का मतलब 8 होता है, अष्ट होली के साथ मिल गया तो होलाष्टक बन गया है. होली के ठीक 8 दिन पहले फागुन की अष्टमी से होलाष्टक चालू हो जाता है और होलिका दहन तक रहता है. आपने होलिका और भक्त प्रहलाद वाल कहानी सुनी होगी. होली के आठ दिन पहले ही प्रहलाद को पकड़ कर यातनाएं दी जाने लगे थी. प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु दानव प्रवृत्ति के थे. उनके भाई हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने मारा था. तभी से हिरण्यकशिपु को विष्णुजी से बैर था. उसने स्पष्ट कर रखा था कि विष्णु का नाम इस महल में कोई नहीं लेगा, लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त थे. बस इसी बात का टंटा था, इसलिए प्रह्लाद को प्रताडित किया जा रहा था.

चूंकि ये 8 दिन कड़े अत्याचार के लिये जाने जाते हैं इसलिए विष्णु भक्त सनातनी इन दिनों की याद में भगवान विष्णु का स्मरण करके समय बिताते थे और बाकी कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, नामकरण,संपत्ति खरीद जैसे काम नहीं करते थे. ये सबको पता है कि प्रहलाद की बुआ ने खुद अग्नि में जलकर प्रहलाद के प्राण बचाए थे.

आचार्य राजेश पांडे बताते हैं कि होली के ठीक पहले के आठों दिन तंत्र साधना के लिये उपयुक्त होते हैं. इन दिनों में सूर्य और बाकी ग्रहों की नक्षत्रों की स्थिति ऐसी रहती है कि तंत्र साधना फलीभूत होने की संभवना बढ़ जाती हैं , इन दिनों में अगर कोई सिद्धी हासिल करने के लिये काम किया जाए ,साधना की जाए तो उनके सफल होने की संभावना होने से ज्यादा तांत्रिक कार्य होते हैं.

fallback

चूंकि तांत्रिक काम में कुछ साधनाएं ऐसी होती है जिनमें तरह तरह के डरावने दिखने वाले सामानों की ज़रुरत भी हो सकती है. और तो और आसुरी ताकतें इन सामानों को गृहस्थ लोगों के घर से उठाने में भी संकोच नहीं करते थे इसलिए लोग उन तांत्रिक प्रभाव से बचने के लिये भगवान की प्रार्थना  ,पूजा पाठ पर उन दिनों ज्यादा ध्यान देने लगे. इसलिए भी मांगलिक कार्य लोगों ने बंद कर दिये कि इन दिनों में बिना मतलब बाधाएं आने की संभावनाएं है .

इसलिए परंपरा ये चल पड़ी की आसुरी शक्ति का मुकाबला करना हो तो अपनी शक्ति बढ़ाना चाहिये और शक्ति बढ़ेगी भगवान की पूजा पाठ और प्रार्थना से. तंत्र मंत्र जानने वाले लोग अब कितने बचे हैं ये कहा नहीं जा सकता लेकिन इनके नाम पर ढोंग करने वाले या शक्ति पाने के लिये किसी को कष्ट में डालने वालों से इंकार नहीं किया जा सकता इसलिए लोग मांगलिक कार्य या बड़े फैसले टालते रहे हैं.

पंडित सकला नंद बलोदी कहते हैं कि जीवन का पूरा आयाम पॉजिटिव या नेगेटिव एनर्जी के आजू बाजू घूमता रहता है . होलाष्टक के बारे में लोगों में भ्रांतियां बहुत है कि अगर कोई  मांगलिक कार्य कर लिया तो बहुत बुरा हो जाएगा ,ऐसा नहीं है दरसल इस दौरान तांत्रिक क्रियाओं को करने वाले लोग और टोने टोटके करने वाले लोग अपने काम में ज्यादा ताकत से लगे रहते हैं .

fallback

चूंकि इनकी वजह से नेगेटिव एनर्जी बढ़ने की आशंका हो जाती है ऐसे में कोई भी नेगेटिव एनर्जी आपके जीवन के अहम काम पर असर डाल सकती है , इसलिए ही होलाष्टक पर आमतौर पर मांगलिक कार्य वर्जित किए गए हैं लेकिन अब तंत्र मंत्र को जानने वाले लोग कम हो गए हैं या बिल्कुल नहीं के बराबर हैं इसलिए होलाष्टक से डरने की ज़रुरत नहीं है. किसी भी तरह की नेगेटिव एनर्जी से बचने के लिये भगवान की प्रार्थना उसके प्रति श्रद्धा रख कर स्मरण करिये और बिना डरे भगवान का नाम लेकर बहुत से कार्य किये जा सकते हैं.  

Trending news