Amla Tree: ब्रम्हा जी के आंसू से उत्पन्न हुआ था आंवले का पेड़, इसकी पौराणिक कथा क्या है; जानें
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Amla Tree: ब्रम्हा जी के आंसू से उत्पन्न हुआ था आंवले का पेड़, इसकी पौराणिक कथा क्या है; जानें

आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है यह तो आप जानते हैं लेकिन आखिर कैसे उत्पन्न हुआ आंवले का पेड़? इसके पीछे की पौराणिक कथा और रहस्य जानने के लिए यहां पढ़ें.

आंवले के पेड़ की होती है पूजा

नई दिल्ली: अपनी इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए आप भी आंवला (Amla) जरूर खाते होंगे लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आंवले का वृक्ष (Amla Tree) सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर ही नहीं बल्कि पूजनीय भी माना जाता है. साल में 2 बार आंवले के पेड़ की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. एक बार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जिसे आमलकी एकादशी (Amalakai Ekadashi) कहते हैं और दूसरा कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन जिसे आंवला नवमी (Amla Navmi) के तौर पर जाना जाता है. आखिर कैसे हुई आंवले के पेड़ की उत्पत्ति और इसे क्यों इतना खास माना जाता है यहां पढ़ें, इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं.

  1. ब्रम्हा जी के आंसू से हुई थी आंवले के पेड़ की उत्पत्ति
  2. आंवले का पेड़ और फल भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है
  3. औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही पूजनीय भी है आंवला

भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है आंवला

आंवले को धातृ वृक्ष भी कहते हैं. यह वृक्ष धर्म का आधार माना जाता है और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को बेहद प्रिय भी है. सृष्टि के सृजन के क्रम में सबसे पहले आंवले का वृक्ष ही उत्पन्न हुआ था. इसलिए इसे आदिरोह या आदि वृक्ष भी कहा जाता है. एक मान्यता के अनुसार जिस तरह समुद्र मंथन में विष की हल्की बूंदें जहां-जहां गिरी वहां पर भांग-धतूरा जैसी बूटियां जन्मीं तो वहीं अम़ृत की बूंदें जहां छलकीं वहां पर आंवला और अन्य गुणकारी पेड़ों का जन्म हुआ.  

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ब्रम्हा जी के आंसू से उत्पन्न हुआ आंवले का पेड़

एक अन्य मान्यता के मुताबिक जिस तरह शिवजी (Lord Shiva) के आंसूओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई उसी तरह ब्रम्हा जी (Lord Brahma) के आंसूओं से आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई. इस बारे में पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी जिक्र मिलता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, जब पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी तब ब्रम्हा जी के मन में सृष्टि दोबारा शुरू करने का विचार आया और कमल पुष्प पर बैठकर ब्रम्हा जी परब्रम्हा की तपस्या करने लगे. ब्रम्हा जी की तपस्या से खुश होकर परब्रम्हा भगवान विष्णु प्रकट हुए जिन्हें देखकर ब्रम्हा जी खुशी से रोने लगे और उनके आंसू भगवान विष्णु के चरणों पर गिरने लगे और ब्रम्हा जी के आंसूओं से आमलकी यानी आंवले का वृक्ष उत्पन्न हुआ.

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इस पर भगवान विष्णु ने ब्रम्हा जी से कहा कि आपके आंसूओं से उत्पन्न आंवले का वृक्ष और फल मुझे हमेशा ही बेहद प्रिय रहेगा. जो भी आंवले के वृक्ष की पूजा करेगा उसके सारे पाप समाप्त हो जाएंगे और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होगी.

बेहद गुणकारी है आंवला

आचार्य चरक ने भी आंवला के गुणों के बारे में बताया है और आयुर्वेद (Ayurveda) में तो आंवले को एक अमृत फल के रूप में जाना जाता है जो कई रोगों का नाश करता है. औषधीय गुणों से भरपूर आंवला, इम्यूनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है, पाचन शक्ति को दुरुस्त रखता है, त्वचा के रोग में भी इससे लाभ मिलता है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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