COVID-19: Lockdown में ऐसे मनाएं दुर्गाष्टमी, कन्या पूजन के लिए ये करें
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COVID-19: Lockdown में ऐसे मनाएं दुर्गाष्टमी, कन्या पूजन के लिए ये करें

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार...

माता महागौरी

नई दिल्ली: ज्यादातर लोगों के मन में कोरोना वायरस, लॉक डाउन, मौसम और कर्फ्यू को लेकर नवरात्र के दौरान असमंजस की स्थिति लगातार बनी रही और अब नवरात्रि में श्री दुर्गाष्टमी और कन्या पूजन को लेकर भी कन्फ्यूजन है. इस बात का सपष्टीकरण और समाधान आपको इस खबर में मिलेगा. बता दें कि 1 अप्रैल 2020 को बुधवार को पूरे दिन अष्टमी रहेगी.

  1. कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
  2. माता महागौरी की पूजा की विधि
  3. दुर्गाअष्टमी की रात अचूक उपाय

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

अमृत काल- 9 बजे से 10 बजकर 50 मिनट तक

अशुभ राहु काल- दोपहर 12:27 से 2 बजे तक

विजय मुहूर्त- दोपहर 2: 32 से 3:22 तक

देश, काल तथा पात्र अर्थात परिस्थिति के अनुसार जितना भी क्रियात्मक रुप से संभव हो सके आप अपने घर-परिवार में ही रहकर पूजा पाठ कर सकते हैं. माता का कोई भी चित्र या मूर्ति रख कर पूजा अर्चना कर सकते हैं.

ऐसे में आप घर की छोटी कन्याओं का पूजन कर सकते हैं. सांकेतिक रुप से उन्हें कुछ धनराशि दक्षिणा के रूप में दे सकते हैं. वर्तमान में मोबाइल के जरिए वीडियो कॉलिंग या फिर कॉन्फ्रेंसिंग से भी 9 कन्याओं को जोड़ सकते हैं. कन्याओं को दान करने वाली वस्तुएं संकल्प करके अपने पास रख लें और हालात ठीक होने पर उन चीजों को कन्याओं को भिजवा सकते हैं या फिर उनके या उनके अभिभावकों के एकाउंट में ऑनलाइन पेमेंट करके कन्याओं को दान कर सकते हैं.

दुर्गाष्टमी के दिन वैसे तो पारंपरिक तौर पर कन्या पूजन करके व्रतादि का उद्यापन किया जाता है. कन्या पूजन में पहले 9 साल या उससे कम आयु की 9 कन्याओं को और एक बालक को अपने निवास पर आमंत्रित करते हैं. फिर उनके घर पर आने पर उन्हें लाल पुष्पों की मालाएं पहनाकर उनका पूजन करके उन्हें हलुवा, पूरी, काले चने का प्रसाद देते हैं. फिर कन्याओं के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेते हैं. आखिर में फिर कन्याओें को लाल चुनरी या लाल परिधान और उचित दक्षिणा एवं उपयोगी उपहार सहित विदा करते हैं. इसके साथ ही कन्या रक्षा का संकल्प भी लिया जाता है.

अष्टम स्वरुप महागौरी

देवी का अष्टम स्वरुप महागौरी का है. इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है. भगवती का सुंदर, सौम्य, मोहक स्वरुप महागौरी में विद्यमान है. माता सिंह की पीठ पर सवार हैं. मस्तक पर चंद्र का मुकट सुशोभित है और चार भुजाओं में शंख, चक्र,धनुष और बाण हैं.

सबसे महत्वपूर्ण है कि माता का यह स्वरुप सौन्दर्य से संबंधित है. इनकी आराधना से सौन्दर्य की प्राप्त होती है. जो युवक युवतियां सौन्दर्य के क्षेत्र में जाने के इच्छुक हैं, वे आज महागौरी की आराधना करें. फिल्म, ग्लैमर व रंगमंच की दुनिया की इच्छा रखने वाले या सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने जा रहे ,युवा वर्ग आज व्रत के साथ-साथ नीचे दिए गए इस मंत्र का जाप भी अवश्य करें. इसके अलावा जिनके वैवाहिक संबंध सुंदर न चल रहे हैं, ऐसे लोग भी मां की आराधना करें.

माता महागौरी की पूजा की विधि

सबसे पहले चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा या चित्र रखें. फिर घी का दीपक जलाकर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद दूध से बना प्रसाद चढ़ाएं.

मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नमः!!

भक्त इस मंत्र की एक या 11 माला का जाप करें. अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें. अष्टमी पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी.

दुर्गाअष्टमी की रात अचूक उपाय-

1- दुर्गा अष्टमी की रात में अपने घर के मुख्य दरवाजे पर रात 12 बजे गाय के घी का एक दीपक जलाने से सारे दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं.

2- संभव हो तो रात में किसी प्राचीन दुर्गा मंदिर में जाकर देवी मां के चरणों में 8 कमल के पुष्प चढ़ाने से माता रानी शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं.

3- अष्टमी की रात को अपने घर में या दुर्गा मंदिर में दुर्गाष्टमी का पाठ करने से घर परिवार में सदैव सुख-शांति बनी रहती है.

4- दुर्गा अष्टमी को सूर्यास्त के ठीक बाद किसी वेदपाठी ब्राह्मण की कुंवारी कन्या को उसकी पसंद के कपड़े दान करने से किस्मत के बंद दरवाजे खुल जाते हैं.

5- अष्टमी का रात को महागौरी के स्वरूप को दूध से भरी कटोरी में विराजित कर चांदी का सिक्का चढ़ाएं और दूसरे दिन से उस सिक्के को हमेशा अपनी जेब में रखने से धन आवक बढ़ने लगेगी.

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