Ayodhya से Shiv का भी है गहरा संबंध, इस मंदिर में बरसती है भोले की कृपा
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Ayodhya से Shiv का भी है गहरा संबंध, इस मंदिर में बरसती है भोले की कृपा

अयोध्या (Ayodhya) का नाम लेते ही मन में श्रीराम के दर्शन होते हैं. लेकिन अयोध्या से शिव (Shivji) का भी गहरा संबंध है. अयोध्या में पंचमुखी (Panchmukhi) महादेव भी विराजमान हैं.

फाइल फोटो

लखनऊ: अयोध्या (Ayodhya) का नाम लेते ही मन में श्रीराम के दर्शन होते हैं. लेकिन अयोध्या से शिव (Shivji) का भी गहरा संबंध है. देश में कुछ ही स्थानों पर पंचमुखी (Panchmukhi) महादेव विराजमान हैं. जिनमें से एक नगरी अयोध्या भी है.

  1. अयोध्या से 5 किमी दूर है पंचमुखी मंदिर
  2. 2 हजार वर्ष पुराना है मंदिर
  3. शिव के तीनों स्वरूपों की होती है पूजा

अयोध्या से 5 किमी दूर है पंचमुखी मंदिर
अयोध्या में बना पंचमुखी महादेव मंदिर श्री रामजन्मभूमि से केवल 8 मिलोमीटर दूर है. अयोध्या के गुप्तार घाट पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. इसे अनादि पंचमुखी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर कब स्थापित हुआ, इसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन यह मंदिर यहां सदियों से मौजूद है.

2 हजार वर्ष पुराना है मंदिर
लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ मुखलिंग पंचमुखी महादेव मंदिर में मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि यह मुखलिंग लगभग 2000 वर्ष पुराना है. मौजूदा महादेव मंदिर पुरानी छोटी लखौरी ईंटों का बना हुआ है, ये लगभग 250 वर्ष पुराना है. पुराणों में इस बात का ज़िक्र है कि भगवान शिव और प्रभु श्री राम का संबंध गहरा है. श्री राम कहते हैं कि जो शिव की भक्ति नहीं करता वो मेरा भक्त नहीं हो सकता.

शिव के तीनों स्वरूपों की होती है पूजा
शिव और विष्णु एक ही है, इसका पुराणों में भी बार बार उल्लेख मिलता है. कहते हैं कि शिव ही ऐसे आराध्य है जिनकी उपासना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शिव की उपासना के तीन स्वरूप हैं. ये स्वरूप हैं प्रतिमा पूजन, शिवलिंग पूजन और मुखाकृतियों से युक्त शिवलिंग का पूजन. आकृति वाले शिवलिंग को मुखलिंग नाम से जाना जाता है.

शिवजी असाधारण शक्तियों के स्वरूप
पंचमुख सृष्टि की रचना के पांच तत्व अग्नि वायु आकाश पृथ्वी जल का प्रतीक है. शिव असाधरण स्वरूप है. जिनके जीवन से ही उपदेश व्यक्त हो जाते हैं. महादेव के इस मंदिर के शिवलिंग में पांच मुख हैं, जो पंचास्य उपासना के पाँच नामों को अभिव्यक्त करते हैं. श्रद्धालु सुबह 3 बजे से जल चढ़ाने के लिए यहां पहुंचने के लिए शुरू हो जाते हैं. यहां दोपहर 12 बजे भोग लगाया जाता है और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है.

सावन में लगती है श्रद्धालुओं की भीड़
प्रत्येक सोमवार की शाम को मंदिर में पंचमुखी का विशेष श्रृंगार होता है. सावन के चारों सोमवार को भगवान शिव के अलग अलग छवियों का श्रृंगार होता है. भगवान शिव के अतिरिक्त इस मंदिर परिसर में सीता राम, राधा कृष्ण, शिव पार्वती का दुल्हा स्वरूप और हनुमान जी का विग्रह भी मौजूद है. सावन में और शिवरात्रि पर यहाँ काफी श्रद्धालु आते हैं. शिवरात्रि यहां का मुख्य पर्व है. पुरूषोत्तम मास में भी यहाँ श्रद्धालु पहुँचते हैं.

केवल अनुभव कर सकते हैं इष्ट की कृपा
इष्ट की कृपा का अनुभव अलग है. ये न किसी किताब में मिलता है न किसी ग्रंथ में. ये भाषा से परे होता है इसे केवल महसूस किया जा सकता है. कई-कई वर्षों से पंचमुखी महादेव मंदिर आने वाले भक्तों के भाव भी कुछ ऐसे ही हैं. अयोध्या के इस पंचमुखी महादेव मंदिर का सार यही है कि यहां आकर राम की भक्ति भी है और शिव की शक्ति भी. शंकर की पूजा का फल ये है कि राम में भक्ति हो जाए और राम की भक्ति का प्रमाण ये है कि शंकर में निष्ठा हो जाए.

कैसे पहुंचे पंचमुखी महादेव मंदिर
वायु मार्ग-
लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे नज़दीक है. गोरखपुर , प्रयागराज, वाराणसी एयरपोर्ट से भी पहुंच सकते हैं. हवाई अड्डे से टैक्सी सेवा भी उपलब्ध है. 

रेल मार्ग-
फैजाबाद, अयोध्या रेलवे स्टेशन सभी प्रमुख शहरों से जुड़े हैं. रेलवे स्टेशन से बस, टैक्सी सेवा उपलब्ध है.

सड़क मार्ग-
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की सेवा 24 घंटे उपलब्ध है. लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी से बस सेवा उपलब्ध है. 

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