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Last Day Jagannath Yatra: जगन्नाथ यात्रा का आज यानी 9 जुलाई को आखिरी दिन है. आज बाहुदा यात्रा की शुरुआत हो चुकी है और भगवान जगन्नाथ आज वापसी करेंगे. ये यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को की जाती है. इस दिन शाम से पहले ही भगवान का रथ मंदिर तक पहुंच जाते हैं. यहां एक दिन भक्तों के दर्शन के लिए प्रतिमाओं को रथ में ही रखा रहने दिया जाता है. इसके बाद अगले दिन मंत्रोंच्चारण के साथ मंदिर में स्थापित की जाती हैं. इन्हें मंदिर के गर्भग्रह में फिर से स्थापित कर दिया जाता है.
बता दें कि आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी गुंडिचा के रथ से जाते हैं. इस दौरान उनके भाई-बहन भी साथ होते हैं. ऐसे में वो अपनी पत्नी को साथ नहीं ले जाते. जिससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं. कई परंपराएं निभाई जाती हैं. इस यात्रा की समाप्ति बाहुदा यात्रा से होती है.
बाहुदा यात्रा से पहले होती है हेरापंचमी
धार्मिक परंपराओं के अनुसार बाहुदा यात्रा से पहले हेरापंचमी मनाई जाती है. इसमें भगवान से नाराज मां लक्ष्मी उन्हें खोजने के लिए निकलती हैं. लेकिन उन्हें भगवान नहीं मिलते. जब उन्हें पता लगता है कि वे रथ में बैठकर अपनी मौसी के चले गए हैं, तो वे वहां पहुंच जाती हैं. लेकिन द्वारपाल उन्हें अंदर नहीं जाने देता. मां लक्ष्मी गुस्से में रथ के पहिए तोड़ देती हैं, और अपने मंदिर में वापस पहुंच जाती हैं. यहां वे एकांतवास में निवास कर ने लगती हैं, जहां भगवान जगन्नाथ उन्हें मनाने जाते हैं.
इसलिए कहलाती है बाहुदा यात्रा
जब भगवान लक्ष्मी जी को मनाने अकेले जाते हैं, तो उन्हें मनाने के लिए कई कीमती चीजें और मिठाई लेकर जाते हैं. ऐसे में उन्हें मनाने के लिए सभी चीजों में से रसगुल्लों का मटका हाथ में उठा लेते हैं. और द्वार पर ही उन्हें मनाते रहते हैं. बहुत कोशिश के बाद वे मां लक्ष्मी को मनाने में सफल होते हैं और मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं. यहां दोनों एक ही रथ पर सवार होकर वापस लौटते हैं. इसलिए इसे बाहुदा यात्रा कहते हैं. बता दें कि इस दिन विजया दशमी और बोहतड़ी गोंचा नाम से जश्न मनाए जाते हैं. पूरे 9 दिन के बाद भगवान जगन्नाथ मंदिर में वापस लौटते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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