Baba Kedarnath: केदारनाथ में भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में हर समय विराजमान रहते हैं. केदारनाथ से जुड़े कई पौराणिक कथाओं का वर्णन सुनने को मिलता है. आज पांडवों से जुड़ी एक कथा के बारे में जानकारी देंगे.
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Kedarnath Temple: हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का बेहद महत्व है. इन सभी के दर्शन करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ भी है. केदारनाथ हिमालय की गोद में बसा हुआ है और यह उत्तराखंड राज्य में स्थित है. वैसे तो बाकी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन साल में किसी भी दिन किए जा सकते हैं, लेकिन भारी बर्फबारी के कारण शीतकाल में केदारनाथ के कपाट बंद रहते हैं. हालांकि, 25 अप्रैल को मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं. अब आराम से भक्त बाबा केदार के दर्शन कर पाएंगे.
साल के करीब 6 महीने केदारनाथ धाम बर्फ से ढका रहता है. यहां भगवान शिव त्रिकोण शिवलिंग के रूप में हर समय विराजमान रहते हैं. वैसे तो केदारनाथ से जुड़े कई पौराणिक कथाओं का वर्णन सुनने को मिलता है, लेकिन आज एक रोचक कथा के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं.
जब महाभारत युद्ध में पांडवों ने विजय हासिल की तो उन्होंने करीब 4 दशक तक हस्तिनापुर पर राज्य किया. इसी बीच एक दिन पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि हम सभी पर अपने बंधुओं की हत्या के साथ ब्रह्म हत्या के साथ अपने बंधु बांधवों की हत्या कलंक है. इस पाप को दूर कैसे किया जाए? इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि भगवान शिव ही तुम सबको इस पाप से मुक्ति दिला सकते हैं.
ऐसे में पांडवों ने पूरा राज्य राजा परीक्षित को सौंप दिया और द्रौपदी समेत शिवजी की तलाश में निकल पड़े. भोलेनाथ की खोज करते-करते पांचों हिमालय तक आ पहुंचे. इसी दौरान एक बैल ने उन सभी पर हमला कर दिया. यह देख भीम बैल से युद्ध करने लगे और उसका धड़ सिर से अलग कर दिया, लेकिन बैल का धड़ शिवलिंग में परिवर्तित हो गया और कुछ समय बाद उसी शिवलिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और पांडवों के सभी पाप क्षमा कर दिए. यही शिवलिंग आज केदारनाथ के नाम से जाना जाता है. केदारनाथ धाम में आज भी शिवलिंग बैल के कुल्हे के रूप में मौजूद हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)