मूर्ति के चरणों को देखें तो यहां सुरसा राक्षसी का मुंह है और यही मंदिर में प्रवेश का रास्ता है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी ने राक्षसी सुरसा को अपना विराट रूप दिखाया था और विराट दर्शन के बाद भगवान राक्षसी के मुख में छोटा सा रूप धारण करके प्रवेश कर गए थे.
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नई दिल्ली: आज मंगलवार है और आज का दिन संकटमोचन भगवान हनुमान (Hanuman) जी को समर्पित है. श्री राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी के देशभर में लाखों मंदिर हैं लेकिन राजधानी दिल्ली के करोल बाग में स्थित हनुमान जी के इस मंदिर की बात ही अलग है. करोल बाग में 108 फीट ऊंचे हनुमान जी सीना चीरकर राम-लक्ष्मण और देवी सीता के दर्शन करवाते हैं. तो आइए जानते हैं विशालकाय हनुमान जी की महिमा के बारे में:
वैसे तो देश की राजधानी दिल्ली में कई धार्मिक स्थल हैं लेकिन दिल्ली की पहचान पवनपुत्र हनुमान जी की 108 फीट ऊंची मूर्ति है. जो दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची हनुमान मूर्ति भी है.
इस मंदिर को संकटमोचन धाम के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर का निर्माण ब्रह्मलीन नागाबाबा श्री सेवागिरी जी महाराज ने करवाया था. इस मंदिर का निर्माण 1994 में शुरू हुआ था, जिसे पूरा होने में करीब 13 साल लगे थे. हनुमान जी मूर्ति का निर्माण 2007 में पूरा हुआ था.
ऐसा कहा जाता है कि महंत नागाबाबा सेवागिरी जी महाराज यहां तपस्या कर रहे थे तब उन्होंने अपने शिष्यों को बताया कि भगवान हनुमान जी उनके सपने में प्रकट हुए हैं और यहां एक भव्य प्रतिमा की इच्छा व्यक्त की है. इस सपने के बाद महंत जी ने यहां एक मंदिर के निर्माण के लिए काम शुरू कर दिया.
बता दें कि झंडेवालान मंदिर करोल बाग मेट्रो स्टेशन से बेहद पास है. दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए मंदिर तक पहुंचना ज्यादा सुविधाजनक है.
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गौरतलब है कि हनुमान जी की ये मूर्ति स्वाचालित भी हैं, जिसे खास मौकों पर चलाया जाता है ताकि भगवान के हृदय में विराजमान श्री राम और माता सीता के दर्शन हो सकें.
मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के दिन हैं. जब शाम के समय आरती में श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में इकट्ठा होती है तब आरती के बीच में श्री राम और माता सीता के दर्शन का आयोजन होता है. जिसमें रामायण के चित्रण की तरह ही हनुमान जी की दोनों बाहें छाती खोलती और बंद करती हैं.
सप्ताह में दो बार सुबह 8:15 बजे और शाम 8:15 बजे ये आयोजन होता है जो भक्तों के लिए भक्ति संगम के समान होता है. मंदिर के दर्शन का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक है और विशेष पर्वों पर जैसे हनुमान जयंती, राम नवमी, नवरात्रि में इस मंदिर की छटा मनमोहक दिखाई देती है.
मूर्ति के चरणों को देखें तो यहां सुरसा राक्षसी का मुंह है और यही मंदिर में प्रवेश का रास्ता है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी ने राक्षसी सुरसा को अपना विराट रूप दिखाया था और विराट दर्शन के बाद भगवान राक्षसी के मुख में छोटा सा रूप धारण करके प्रवेश कर गए थे.
वैसे ही मंदिर में सुरसा की जीभ से होते हुए भक्तगण प्रवेश करते हैं और सामने भगवान हनुमान की एक छोटी मूर्ति दर्शन के लिए विराजित है. साथ ही ये भी कहा जाता है कि मंदिर का प्रवेश द्वार राक्षसी का खुला हुआ मुंह है जो कि मरते हुए राक्षसी को दर्शता है. ये भगवान हनुमान की महिमा का प्रतीक है जिन्होंने अपने जीवन में कई असुरों का वध किया था और भगवान राम की सेवा की.
एक बार भगवान हनुमान की मूर्ति को ट्रैफिक और अतिक्रमण की वजह से यहां से हटाने की भी सलाह दी गई लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका. ये मंदिर कला और प्रौद्योगिकी का एक अद्भुत संगम माना जाता है.
हनुमान मंदिर का विस्तार तीसरी मंजिल तक है, जिसमें सबसे ऊपर वाली मंजिल पर स्वयं पंचमुखी श्री हनुमान विराजमान हैं. हनुमान जी की गदा के पास मंदिर में वैष्णो देवी मंदिर की तरह एक गुफा भी है. जहां मां वैष्णो अपनी सुंदर और पवित्र तीन पिंडियों के साथ गुफा में विराजमान हैं और यहां गंगा नदी के रूप में पानी की एक पवित्र धारा भी है.
कहते हैं ब्रह्मलीन नागाबाबा हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के ज्वालाजी मंदिर से पवित्र अखण्ड ज्योति को 30 सितंबर 2006 को हनुमान मंदिर लेकर आए थे, जो तब से अभी तक लगातार मंदिर को प्रकाशित कर रही है. हर साल 25 जनवरी को झंडेवालान मंदिर में भंडारा होता है.
कहते हैं पवनपुत्र हनुमान संकट को हर लेते है और यही कारण है कि राम भक्त हनुमान के भक्त उनके चरणों में शीष झुकाते हैं. इस श्रद्धा के साथ कि भगवान उनके जीवन के सभी दुखों का निवारण करेंगे और हमेशा साथ बने रहेंगे.
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