21 जून को Nirjala Ekadashi पर बन रहा है Siddhi Yog, सभी इच्‍छाओं को करेगा पूरा
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21 जून को Nirjala Ekadashi पर बन रहा है Siddhi Yog, सभी इच्‍छाओं को करेगा पूरा

भगवान विष्‍णु को समर्पित निर्जला एकादशी का व्रत करने से सारे एकादशी व्रत करने का फल मिलता है. इस बार निर्जला एकादशी पर सारी इच्‍छाएं पूरी करने वाला सिद्धि योग भी बन रहा है.

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: 21 जून 2021, सोमवार को पड़ रही निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) बेहद खास है. इस दिन और 2 शुभ योग - शिव और सिद्धि (Siddhi Yog) बन रहे हैं. इसके अलावा 21 जून साल का सबसे लंबा दिन भी होगा. यानी कि इस दिन सूर्य जल्दी उदय होकर देर से ढलेगा. आम दिनों की तुलना में सूर्य की किरणें सबसे ज्‍यादा देर तक धरती पर पड़ेंगी. इसके बाद सूर्य दक्षिण की ओर चलना शुरु हो जाएगा और 23 सितंबर को रात-दिन बराबर हो जाएंगे. साल की सबसे अहम एकादशी मानी जाने वाली निर्जला एकादशी के महत्‍व, मुहुर्त और पूजन-विधि के बारे में ज्‍योतिर्विद मदन गुप्‍ता सपाटू से जानते हैं. 

  1. 21 जून को निर्जला एकादशी 
  2. बन रहे हैं शिव और सिद्धि योग 
  3. खुद निर्जला रहकर फल-जूस दान करने से मिलेगा पुण्‍य 

सारी इच्‍छाओं को पूरा करता है सिद्धि योग 

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. इस साल इस दिन शिव और सिद्धि योग बनने से यह एकादशी ज्‍यादा महत्वपूर्ण है. 21 जून को शाम 5:34 मिनट तक शिव योग रहेगा और इसके बाद सिद्धि योग आरंभ हो जाएगा. सिद्धि योग सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है और इस अवधि में किया गया प्रत्येक कार्य सफल होता है. शिव योग को भी बहुत शुभ कहा जाता है ओैर इस दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान, पूजापाठ या दान आदि का भी शुभ परिणाम मिलता है. 

ज्योतिषीय दृष्टि से एकादशी के दिन सूर्य मिथुन राशि में, चंद्र तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में, मंगल नीच राशि कर्क में, वक्री शनि मकर में और वक्री गुरु कुंभ राशि में रहेंगे.

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त

यह व्रत एकादशी के सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक 24 घंटे की अवधि का  माना जाता है. निर्जला एकादशी तिथि 20 जून, रविवार को शाम 4 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और 21 जून, सोमवार को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. 

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भीम ने रखा था निर्जला एकादशी व्रत 

इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. माना जाता है कि यह व्रत महाभारत काल से शुरू हुआ था, इसके पीछे एक कथा भी है. जब वेदव्यास ने पांडवों को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाले व्रत का संकल्प कराया तो भीम ने कहा कि आप तो 24 एकादशियों का व्रत रखने का संकल्‍प करवा रहे हैं, लेकिन मैं तो एक दिन भी भूखा नहीं रह सकता. तब पितामह ने समस्या का निदान करते हुए कहा कि आप निर्जला एकादशी का व्रत (Nirjala Ekadashi vrat) रखो. इससे समस्त एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होगा. इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. 

दूसरों की बुझाएं प्‍यास 

इस व्रत को लेकर एक और रोचक बात यह है कि इसमें व्रती तो पानी नहीं पी सकता है लेकिन उसे दूसरों को जल पिलाना होगा, इससे उसे बहुत लाभ मिलेगा. लिहाजा इस दिन व्रती को पानी, जूस, शर्बत, खरबूजा फल आदि का दान करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंदों के लिए आश्रम, अस्‍पतालों आदि में वॉटर कूलर लगवाने जैसे काम करना बहुत ही अच्‍छा होगा. 

ऐसे रखें व्रत 

यह व्रत महिला-पुरुष दोनों ही रख सकते हैं और इसके लिए कोई आयु सीमा भी नहीं है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान करके भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की मूर्ति या शालिग्राम को पंचामृत - दूध, दही, घी,शहद व शक्कर  से स्नान कराएं. मूर्ति को नए वस्त्र अर्पित करें. मूर्ति न होने पर भगवान की फोटो के आगे दीप जलाकर तुलसी और फल अर्पित करें. बाद में मंदिर में जाकर भगवान विष्‍णु के दर्शन करें. पूरे दिन निर्जला रहें. भगवान की आराधना करें. ओम् नमो भगवते वासुदेवाय: का जाप करें. अगले दिन जल ग्रहण करके व्रत का समापन करें .

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