Gangaur Vrat 2021: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं छिपकर रखती हैं ये खास व्रत, जानें इसकी कथा
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Gangaur Vrat 2021: पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं छिपकर रखती हैं ये खास व्रत, जानें इसकी कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर की पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए गणगौर माता यानी मां पार्वती की पूजा करती हैं.

गणगौर की पूजा

नई दिल्ली: जिस तरह उत्तर भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं पति की लंबी आयु (Husband's long life) की कामना और मनचाहे वर की इच्छा के साथ सावन के महीने में तीज का व्रत (Sawan Teej) रखती हैं, ठीक उसी तरह से राजस्थान में भी महिलाएं पति की सलामती के लिए गणगौर का व्रत (Gangaur Vrat) रखती हैं. तीज की ही तरह गणगौर में भी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा (Lord Shiva and Goddess Parvati) की जाती है. हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार मनाया जाता है. इस साल गणगौर की पूजा आज 15 अप्रैल गुरुवार को है. 

  1. सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां करती हैं गणगौर
  2. पति से छिपकर गणगौर का व्रत रखती हैं सुहागिन महिलाएं
  3. मिट्टी से माता पार्वती की मूर्ति बनाकर की जाती है पूजा

पति से छिपकर किया जाता है व्रत

हालांकि इस व्रत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पति से छिपकर रखती हैं (Does not tell husband about fast). पति को व्रत के बारे में कुछ भी नहीं बताना होता और यहां तक कि पूजा का चढ़ाया गया प्रसाद भी महिलाएं पति को नहीं देती हैं. गणगौर का व्रत खासतौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश की महिलाएं रखती हैं और इस दिन गणगौर माता यानी माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.    

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ऐसे होती है गणगौर की पूजा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती होली के दूसरे दिन अपने मायके चली जाती हैं और 8 दिनों के बाद भगवान शिव उन्हें वापस लेने के लिए आते हैं, इसलिए यह त्योहार होली के दिन से यानी चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि से ही आरंभ हो जाता है. इस दिन से सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां मिट्टी के शिव जी यानि गण और माता पार्वती यानि गौर बनाकर रोजाना उनकी पूजा करती हैं. इसके बाद चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर की पूजा की जाती है. 

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इन 17 दिनों में महिलाएं रोज सुबह उठकर दूब और फूल चुनकर लाती हैं और उन दूबों से दूध के छींटे मिट्टी की बनी हुई गणगौर माता को देती हैं. फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन किसी नदी, तालाब के पास जाकर अपनी पूजी हुई गणगौर को पानी पिलाती हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया की शाम को गणगौर का विसर्जन कर दिया जाता है. गणगौर व्रत के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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