Last Lunar Eclipse of 2021: नहीं जानते होंगे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगने का ये कारण, विज्ञान से अलग है वजह!
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Last Lunar Eclipse of 2021: नहीं जानते होंगे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगने का ये कारण, विज्ञान से अलग है वजह!

सूर्य और चंद्र ग्रहण (Solar and Lunar Eclipse) का एक रोचक कारण समुद्र मंथन (Samudra Month) से जुड़ा हुआ है, जिसमें भगवान विष्‍णु (Lord Vishnu) ने मोहिनी का रूप रखकर दानवों के साथ एक चाल चली थी. 

(फाइल फोटो)

Last Lunar Eclipse of 2021: हर कुछ महीनों में सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) लगते हैं. विज्ञान में इन्‍हें खगोलीय घटना माना जाता है और इन ग्रहणों को देखने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. कई संस्‍थान इन ग्रहण को देखने के लिए विशेष इंतजाम करते हैं. वहीं हिंदू धर्म और ज्‍योतिष में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को अशुभ बताया गया है. इसी के चलते ग्रहण के दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. वहीं ग्रहण के दौरान कुछ नियमों का पालन भी करना होता है. ग्रहण लगने के वैज्ञानिक कारणों (Scientific Reason of Eclipse) के बारे में तो कई लोग जानते हैं लेकिन इसके पीछे एक और वजह है जो कि बेहद रोचक है. 

  1. धर्म में बताई गई है सूर्य-चंद्र ग्रहण लगने की वजह 
  2. बेहद रोचक है ग्रहण लगने की वजह 
  3. समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत से है संबंध 

सदी का सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण 

19 नंवबर 2021 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. वहीं इसके 15 दिन बाद साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को लगेगा. चूंकि यह चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण है, लिहाजा इसका सूतक काल मान्‍य नहीं होगा. लेकिन इस ग्रहण की खास बात है कि यह इस सदी का सबसे लंबा आंशिक चंद्र ग्रहण रहेगा. यह ग्रहण सुबह करीब 11:30 बजे शुरू होगा और शाम को 05:33 बजे तक चलेगा. 

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सूर्य-चंद्रमा को खा लेते हैं राहु-केतु 

मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला तो मोहिनी के वेष में भगवान विष्‍णु ने पहले देवताओं को और फिर दानवों को अमृत पिलाने की बात कही. उनके रूप से मोहित दानवों ने बात मान ली लेकिन स्वर्भानु नाम के दानव को भगवान विष्‍णु की चाल समझ में आ गई और वो रूप बदलकर देवताओं के साथ बैठ गया. देवताओं की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया. 

तब भगवान विष्णु ने नाराज होकर सुदर्शन चक्र से दानव का धड़ और सिर अलग कर दिया. चूंकि दानव अमृत की कुछ बूंदे पी चुका था लिहाजा वह नहीं मरता है और नाराज होकर सूर्य और चंद्रमा को अपना ग्रास बना लेता है. इस तरह वे कुछ देर के लिए दिखना बंद हो जाते हैं. चूंकि इस दौरान देवता खुद को दानव से छुड़ाने के लिए कष्‍ट में रहते हैं, लिहाजा धर्म और ज्‍योतिष में सूर्य और चंद्र ग्रहण को अशुभ माना जाता है. इस दानव के सिर को राहु और धड़ को केतु कहा गया है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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