पंचक काल में हो मृत्‍यु तो कैसे करें दाह संस्‍कार? गरुड़ पुराण में बताई है सही विधि
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पंचक काल में हो मृत्‍यु तो कैसे करें दाह संस्‍कार? गरुड़ पुराण में बताई है सही विधि

Garuda Purana death: पंचक काल को अशुभ माना गया है इसलिए पंचक के दौरान कोई शुभ काम करना तो दूर मृत्‍यु तक को अच्‍छा नहीं माना गया है. यदि पंचक में मृत्‍यु हो तो विशेष तरीके से दाह संस्कार करना होता है.

पंचक काल में हो मृत्‍यु तो कैसे करें दाह संस्‍कार? गरुड़ पुराण में बताई है सही विधि

Death in Panchak Kaal: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है. चौघडिया देखा जाता है ताकि शुभ-अशुभ समय, काल, ग्रह, नक्षत्र, दिन आदि को ध्यान में रखकर कार्य किए जा सकें. हिंदू धर्म में पंचक काल को अशुभ माना गया है. इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. इसके अलावा नए घर का निर्माण, छत डालना, बिस्‍तर खरीदना आदि भी पंचक में वर्जित बताया गया है. यहां तक कि पंचक में मृत्‍यु होने पर परिवार-खानदान पर संकट आने का खतरा रहता है इसलिए गरुड़ पुराण में पंचक में मरने वालों का अंतिम संस्‍कार करने का खास तरीका बताया गया है. 

क्‍यों अशुभ मानी गई है पंचक में मृत्‍यु 

मान्‍यता है कि यदि किसी परिजन की पंचक काल में मृत्‍यु हो तो उस परिवार के 5 अन्‍य सदस्‍यों पर भी संकट आ सकता है. जैसे उन्‍हें कोई जानलेवा बीमारी हो सकती है, दुर्घटना हो सकती है, उनकी मृत्‍यु हो सकती है. पंचक काल के प्रभाव को इतना अशुभ माना गया है कि यदि किसी की मृत्यु भी हो जाए तो इस समय में दाह संस्कार करने की मनाही होती है. चूंकि ऐसे अति आवश्‍यक कार्य को रोका नहीं जा सकता है इसलिए गरुड़ पुराण में बताई गई विशेष विधि से अंतिम संस्‍कार करना चाहिए. 

करें ये विशेष उपाय 

पंचक में किसी परिजन की मृत्‍यु होने पर उसका असर दूसरे लोगों के जीवन पर ना पड़े, इसके लिए गरुड़ पुराण में कुछ विशेष उपायों के बारे में बताया गया है. इन उपायों से पंचक काल का अशुभ प्रभाव बेअसर हो जाता है. 

- गरुड़ पुराण के अनुसार, यदि किसी परिजन की मृत्यु पंचक काल में हो जाए तो शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर अर्थी के साथ रख दें. साथ ही विधि-विधान से दाह संस्कार करें. ऐसा करने से पंचक का अशुभ प्रभाव बेअसर हो जाता है और घर के सदस्यों पर कोई संकट नहीं आता है.

- यदि पंचक काल में बिना जाने ही किसी परिजन का अंतिम संस्‍कार कर दें और बाद में इस बात का अहसास हो तो किसी पुरोहित की मदद से नदी या सरोवर के किनारे विधिवत रूप से पंचक के अशुभ प्रभाव का निदान करा सकते हैं. ऐसा करने से भी परिवार पर आने वाला संकट से बचाव हो जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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