Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. आज दूसरा दिन है. ऐसे में मां आदिशक्ति के विभिन्न रूपों से जुड़ी कहानियों से रूबरू कराएंगे. माता रानी ने स्वर्ग में कब्जा कर चुके महिषासुर को युद्ध में परास्त कर दिया तो जानते हैं कि उनका जन्म कैसे हुआ.
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Chaitra Navratri 2023: प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच पूरे सौ साल तक घोर संग्राम हुआ. इस युद्ध में असुरों का नेतृत्व महिषासुर कर रहा था, जबकि देवताओं के सेनापति इंद्र थे. इस युद्ध में देवताओं की सेना असुरों से हार गई. महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया और स्वयं इंद्र बन गया. हारे हुए देवता दुखी होकर ब्रह्मा जी को आगे करके उस स्थान पर पहुंचे, जहां भगवान शंकर और विष्णु जी दोनों मौजूद थे. देवताओं ने बताया कि किस तरह असुरों ने उन्हें पराजित कर सूर्य, इंद्र, अग्नि, वायु, चंद्र, यम, वरुण सभी देवताओं के अधिकार छीनकर खुद ही अधिष्ठाता बन गए हैं.
देवताओं के मुख से सारी बातें सुनकर दोनों भगवान को बड़ा क्रोध आया और उसी समय ब्रह्मा विष्णु और महेश व अन्य देवताओं के शरीर से तेज निकला और सब मिलकर एक हो गए. सभी तेज मिल गए तो वह पर्वत के आकार का दिखने लगा. उस तेज से उठने वाली ज्वाला सभी दिशाओं में पहुंच रही थी. इसके बाद उस तेज ने एक नारी का रूप प्रकट हुआ. देवताओं के तेज पुंज से प्रकट हुई देवी को देखकर महिषासुर के सताए देवता अति प्रसन्न हुए. फिर सभी देवताओं ने उन्हें अपने अस्त्र और वस्त्र आभूषण आदि की भेंट दी.
भगवान और देवताओं से सम्मान पाकर देवी ने भयंकर गर्जना की, जिससे पूरा आकाश गूंज उठा. इस गूंज से पृथ्वी में भी हलचल मच गयी. सिंह वाहिनी देवी की गर्जना सुनकर महिषासुर ने क्रोध में आकर असुरों से पूछा, यह सब क्या हो रहा है. फिर जिस तरह से देवी का सिंहनाद आया था, उसी तरह शस्त्रों से सुसज्जित असुरों के साथ दौड़ा. हजारों भुजाओं वाली देवी से उसका भयंकर युद्ध छिड़ गया. देखते ही देखते कितने ही असुर और दैत्य मर कर जमीन पर लोटने लगे. मां जगदम्बा ने कुछ ही देर में असुरों की विशाल सेना को भूमि चटा दी. युद्ध स्थल पर खून की नदियां बहने लगीं.
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