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नई दिल्ली. महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2021) का पर्व 11 मार्च यानी गुरुवार को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार, यह पावन पर्व माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर्व का बहुत महत्व है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधि-विधान से व्रत (Mahashivratri Vrat) रखने वाले जातकों को धन, सौभाग्य, समृद्धि, संतान और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि (Mahashivratri) भगवान शिव (Lord Shiva) और देवी पार्वती (Devi Parvati) के मिलन का पर्व है. भगवान शिव को सरल स्वभाव का देवता माना जाता है. इसीलिए भगवान शिव को भोलेनाथ (Bholenath) भी कहते हैं. भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. जानिए महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2021 Muhurat), महत्व (Mahashivratri Significance) और पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi).
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महा शिवरात्रि- बृहस्पतिवार, मार्च 11, 2021
निशीथ काल पूजा समय - 00:06 से 00:55, मार्च 12
अवधि - 48 मिनट
12 मार्च को शिवरात्रि पारण समय - 06:34 से 15:02
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 18:27 से 21:29
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 21:29 से 00:31, मार्च 12
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 00:31 से 03:32, मार्च 12
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 03:32 से 06:34, मार्च 12
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 11, 2021 को 14:39 बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - मार्च 12, 2021 को 15:02 बजे
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन ही भगवान शिव (Lord Shiva) और मां पार्वती (Devi Parvati) का विवाह हुआ था. इस दिन भक्त भगवान शिव की बारात (Shiv Barat) भी निकालते हैं. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करना हितकारी माना जाता है. महाशिवरात्रि का व्रत (Mahashivratri Vrat) महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है. इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने से लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
शादीशुदा महिलाएं महाशिवरात्रि पर व्रत रखकर पति की लंबी आयु की भगवान शिव से कामना करती हैं. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से महिलाएं संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकती हैं.
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1. महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
2. उसके बाद सच्चे मन से व्रत रखने का संकल्प लें.
3. इसके बाद भगवान शिव का पवित्र जल या दूध से जलाभिषेक करें.
4. शिवलिंग पर बेलपत्र, आक फूल, धतूरे के फूल अर्पित करें.
5. इसके बाद शिवपुराण, शिव आरती या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें.
6. फिर पारण मुहूर्त में महाशिवरात्रि के व्रत का पारण करें.