Mangalwar Vrat Katha: मंगलवार व्रत कथा के पाठ से दूर होते हैं जीवन के सारे कष्ट, पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं
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Mangalwar Vrat Katha: मंगलवार व्रत कथा के पाठ से दूर होते हैं जीवन के सारे कष्ट, पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

Mangalwar Vrat: एक वृद्धा हमेशा मंगलवार का व्रत रखती थी और उसके पुत्र का जन्म भी मंगलवार को ही हुआ था. प्यार से वह उसे मंगलिया कह कर बुलाती थी. मंगलवार के दिन वह न तो मिट्टी की खुदाई करती और न ही घर की लिपाई. यहां पढ़िए मंगलवार की पूरी कथा.

Mangalwar Vrat Katha: मंगलवार व्रत कथा के पाठ से दूर होते हैं जीवन के सारे कष्ट, पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

Mangalwar Vrat Katha In Hindi: प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने लिए मंगलवार का व्रत किया जाता है, इस दिन हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि का पाठ किया जाता है. 21 मंगलवार तक लगातार व्रत करने से मंगल दोष समाप्त हो जाता है. मंगलवार का व्रत सभी तरह के सुख, सरकार से सम्मान और पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है.  

इस तरह है मंगलवार व्रत की कथा 
एक वृद्धा हमेशा मंगलवार का व्रत रखती थी और उसके पुत्र का जन्म भी मंगलवार को ही हुआ था. प्यार से वह उसे मंगलिया कह कर बुलाती थी. मंगलवार के दिन वह न तो मिट्टी की खुदाई करती और न ही घर की लिपाई. एक बार भगवान मंगलदेव उसकी परीक्षा लेने ब्राह्मण के वेश में पहुंचे और बोले, मुझे भोजन बनाना है, क्या तुम सामने की जमीन गोबर से लीप सकती हो. वृद्धा ने तुरंत ही उत्तर दिया कि महाराज, आज मंगलवार है, इसलिए आज मैं जमीन नहीं लीप सकती, मैं जल का छिड़काव कर जमीन को स्वच्छ कर सकती हूं. इस पर ब्राह्मण देव बोले, नहीं मैं तो गोबर से लीपे गए चौके में भी भोजन बनाता हूं. लेकिन वृद्धा ने विनम्रतापूर्वक कहा कि मैं आज लीपने के अलावा आप जो सेवा कहेंगे, कर दूंगी. तीन बार इस तरह का वचन लेने के बाद ब्राह्मण ने कहा कि तुम अपने लड़के को बुलाओ तो मैं उसकी पीठ पर भोजन बनाऊंगा. बेचारी वृद्धा वचन दे चुकी थी इसलिए मंगलिया को बुलाया और उसे ब्राह्मण देव के सामने जमीन पर लेटने को कहा और खुद घर के भीतर यह कह कर चली गयी कि मैं अपने घर का कार्य करने जा रही हूं. 

फिर ब्राह्मण देव ने उसकी पीठ पर अंगीठी जलाकर भोजन बनाया और फिर वृद्धा को आवाज लगाकर बुलाया कि अपने बेटे को बुलाकर कहो कि वह भी प्रसाद ले ले. इस पर कुछ नाराजगी के साथ वृद्धा, बोली महाराज आपने उसकी पीठ पर अंगीठी जलाई थी, अब तक तो बच्चा मर गया होगा. फिर भी ब्राह्मण देव ने कहा कि एक बार बेटे की आवाज तो लगाओ और ऐसा करते ही उसका लड़का दौड़ता हुआ आ गया. अब ब्राह्मण देव असली रूप में आकर बोले कि माई आपका व्रत सफल हुआ, तुम्हारे हृदय में इष्टदेव के प्रति अटूट आस्था है, तुम्हें और तुम्हारे लड़के को कभी कोई कष्ट नहीं रहेगा, तुम्हारा सदा कल्याण होगा.    

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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