कब है मार्गशीर्ष अमावस्‍या? एक उपाय दूर करेगा परिवार के कई बड़े कष्‍ट
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कब है मार्गशीर्ष अमावस्‍या? एक उपाय दूर करेगा परिवार के कई बड़े कष्‍ट

Margashirsha Amavasya 2023 Date: मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि बहुत महत्‍वपूर्ण मानी गई है. अमावस्‍या के दिन पूजा, स्‍नान-दान का बहुत महत्‍व है. इस दिन पितरों के निमित्‍त श्राद्ध-तर्पण करने से परिवार में हमेशा खुशियां रहती हैं.

कब है मार्गशीर्ष अमावस्‍या? एक उपाय दूर करेगा परिवार के कई बड़े कष्‍ट

Margashirsha Amavasya ke Upay: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को बहुत अहम माना गया है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्‍या के दिन की गई पूजा-उपासना कई गुना ज्‍यादा फल देती है. इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्‍नान, दान, पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध जरूर करें. भगवान कृष्‍ण के प्रिय महीने मार्गशीर्ष महीने की अमावस्‍या सारे कष्‍ट दूर सकती है. इस दिन भगवान कृष्‍ण की पूजा करने का भी बड़ा महत्‍व है. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्‍या कब है और परिवार के कष्‍ट दूर करने के लिए इस दिन कौन से काम जरूर करें. 

मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 पूजा मुहूर्त

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर 2023 की सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 13 दिसंबर 2023 की सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर समाप्‍त होगी. उदया तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर को ही मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष अमावस्‍या पर स्नान का मुहूर्त सुबह 05.14 बजे से सुबह 06.09 बजे तक है. वहीं पितृ पूजा करने के लिए मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक है.

पितृ हैं अमावस्या तिथि के देवता 

अमावस्‍या तिथि के देवता पितरों को माना गया है. इस दिन पितरों के निमित्‍त उपाय करना, श्राद्ध-तर्पण करना बहुत लाभ देता है. इससे पितृ प्रसन्‍न होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. वहीं पितृ दोष गरीबी, तरक्‍की और वंशवृद्धि में रुकावट डालता है. यह घर में झगड़े-कलह कराता है. यदि घर में अक्‍सर झगड़े होते हैं, अशांति-तनाव रहता है, कोई ना कोई सदस्‍य हमेशा बीमार रहता हो, विवाह योग्‍य युवक-युवतियों की शादी ना हो रही हो, वंशवृद्धि रुक गई हो तो मार्गशीर्ष अमावस्‍या के दिन पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करें. इससे आपके जीवन के ये कष्‍ट दूर हो सकते हैं. 

कराएं ब्राह्मण भोज 

अमावस्य के दिन पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मण को विधिपूर्वक भोजन कराएं. गरीब-जरूरतमंदों को दान दें, गाय-कुत्‍ते आदि को भी भोजन दें. ऐसा करने पितर सदैव प्रसन्न रहते हैं. कामों में कभी अड़चनें नहीं आती हैं. साथ ही अमावस्‍या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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