Karva Chauth 2020: जानें करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम, ऐसे करें पूजा
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Karva Chauth 2020: जानें करवा चौथ व्रत का शुभ मुहूर्त और नियम, ऐसे करें पूजा

करवा चौथ (Karva Chauth 2020)  इस साल 4 नवंबर को है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इस बार करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन है. हम आपको बता रहे हैं करवा चौथ व्रत की विधि और व्रत के दौरान पालन किये जाने वाले नियम.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली: करवा चौथ (Karva Chauth 2020) की तैयारियां जोरों पर हैं. बाजारों में रौनक है तो घरों में पत्नियां पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखने की तैयारी कर रही हैं. इस साल करवा चौथ का त्योहार 4 नवंबर को मनाया जा रहा है, जो हिंदू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन है. हम आपको बता रहे हैं करवा चौथ व्रत की विधि और जरूरी नियम.

  1. इस बार 4 नवंबर को है करवा चौथ का त्योहार
  2. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं सुहागिनें
  3. 12 या 16 वर्षों तक निरन्तर करवाचौथ व्रत करने का विशेष महत्व
  4.  

व्रत विधि
करवा चौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति की लम्बी आयु के लिए करती हैं. यह व्रत काफी कठिन माना जाता है क्योंकि पूरे दिन सुहागिन निर्जला व्रत रखती है. शाम को चन्द्र उदय होने के बाद उसे जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद पति के हाथों से पत्नी निवाला खाकर अपना उपवास खोलती है. दिन-भर पूजा, भजन, सत्संग, प्रार्थना, पति की लम्बी आयु की कामना एवं करवा चौथ व्रत की कथा सुनी जाती है. इस व्रत में चौथ माई, गणेश, भगवान शिव और पार्वती मां की पूजा की जाती है. वीरावती की कहानी सुनी जाती है, जो अपने पति को काल से भी वापस ले आती है.

इन नियमों का करें पालन
करवा चौथ व्रत के दौरान अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता. सुहागिन द्वारा विवाहोपरान्त 12 या 16 वर्षों तक निरन्तर करवाचौथ व्रत करने का विशेष महत्व है. सुहागिन को श्रंगार का पूरा सामान पूजा के समय रखना चाहिये. एक मीठा करवा और एक मिट्टी का करवा होना चाहिये. मिट्टी के करवे से ही चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. चंद्र उदय होने के बाद जल अर्पित करें. छलनी से पति चांद के सामने पति का चेहरा देखके पति के हाथ से निवाला खाने के साथ व्रत पूर्ण किया जाता है. पति पत्नी को खुश करने के लिए उसकी इच्छा के अनुसार कोई प्रिय वस्तु भी उपहार में देता है. इसके बाद भगवान शिव, पार्वती और गणेश का स्मरण कर परिवार सहित भोजन ग्रहण किया जाता है.

शुभ मुहूर्त
पूजा का शुभ मुहूर्त: संध्या पूजा 4 नवंबर, बुधवार शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक है हालांकि चंद्रोदय सात बजे के बाद होगा.

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