Navagraha: ग्रहों की विषम स्थिति से उत्पन्न होने से कई तरह को रोग पैदा होते हैं. इस लेख में आज हम आपको ग्रहों के कारण होने वाले रोग और उनके उपचार के लिए धारण किए जाने वाले रत्न के बारे में बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं कौन से रोग में कौन सा रत्न धारण करना चाहिए.
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Navagraha dosh ke upay: ब्रह्मांड में नौ ग्रह हैं जिनके प्रभाव और दुष्प्रभाव पृथ्वी में रहने वाले लोगों पर पड़ते हैं. लोगों पर ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषी रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. ग्रहों के मजबूत अथवा विपरीत होने की स्थिति में उससे संबंधित रत्न धारण करने से वह समस्या अथवा रोग दूर हो जाते हैं. दरअसल कोई भी रत्न संबंधित ग्रहों से रश्मियां लेकर शरीर में प्रवाहित कराते हैं जिसका प्रभाव उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर पड़ने लगता है. मुख्य रत्न नौ प्रकार के माने गए हैं और मुख्य ग्रह भी नौ ही होते हैं. ग्रहों की विषम स्थिति से उत्पन्न होने से कई तरह को रोग पैदा होते हैं. इस लेख में ग्रहों के कारण होने वाले रोग और उनके उपचार के लिए धारण किए जाने वाले रत्न के बारे में लिखा गया है.
ग्रहों के कारण होने वाले रोग और उनके उपचार
सूर्य - दीर्घकालीन ज्वर, शरीर में जलन, हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर पीड़ा, उच्च रक्तचाप, पित्त अस्थि रोग आदि की स्थिति में माणिक्य धारण किया जाता है.
चंद्र - शीत का प्रकोप, कफ, अतिसार, निमोनिया, फीवर, मानसिक थकान, दमा, श्वास रोग आदि होने पर ज्योतिषी मोती धारण करने की सलाह देते हैं.
मंगल - रक्त प्रवाह, रक्तस्राव, जलना, दुर्घटना, रक्त विकार, चर्म रोग, पाइल्स, कुष्ठ रोग, फोड़ा, हड्डी टूटना, नासूर भगंदर आदि का रोग होने पर मूंगा धारण किया जाता है.
बुध - नपुंसकता, शक्तिहीनता, आमाशय की गड़बड़ी, हृदय गति रुकना, भ्रांति, नासिका के रोग, स्मृति लोप, जिह्वा रोग, मिर्गी इत्यादि में पन्ना धारण करना चाहिए.
गुरु - गले की तकलीफ, कफ, अतिसार, यकृत संबंधित कष्ट, गठिया, कब्ज संबंधित परेशानियां, बेहोशी, कान के रोग, उदर विकार आदि की स्थिति में पुखराज पहनना लाभकारी होता है.
शुक्र - टीबी, आंखों के रोग जैसे पानी गिरना, मोतियाबिंद तथा ग्लूकोमा हिस्टीरिया, गर्भाशय संबंधी रोग, मूत्र रोग होने पर हीरा पहनाया जाता है.
शनि - हाथ पैर या शरीर की हड्डियों के टूटने, कब्ज, मिर्गी, कैंसर, टॉक्सिसिटी, सूजन, पेट में दर्द आदि में नीलम रत्न लाभ करता है.
राहु - मानसिक रोग, भूत प्रेत का भय, चेचक, वायु विकार, रीढ़ की हड्डी में परेशानी, स्किन आदि अनेक जटिल रोगों में गोमेद पहनने से लाभ मिलता है.
केतु - खून की कमी, जलने की स्थिति, निमोनिया, दमा, रक्त विकार, पित्त रोग, प्रसव पीड़ा, संक्रामक रोग, पाइल्स में लहसुनिया पहनाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)