हस्तरेखा शास्त्र हथेली में पर्वतों का खास महत्व है. हथेली का केतु पर्वत से जीवन में धन की स्थिति का पता चलता है. केतु पर्वत मणिबंध के पास मौजूद होता है. इसके अलावा यह पर्वत भाग्यशाली होने का भी संकेत देता है.
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नई दिल्ली: हस्तरेखा शास्त्र में हथेली के पर्वतों का विशेष महत्व हैं. तर्जनी उंगली के नीचे वाला हिस्सा गुरु पर्वत कहलाता है. मध्यमा उंगली के नीचे के भाग को शनि पर्वत कहते हैं. वहीं अनामिका उंगली के नीचे सूर्य पर्वत होता है, जबकि सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध का पर्वत होता है. इसके अलावा हथेली में केतु पर्वत भी होता है. इस पर्वत से धन के बारे में पता चलता है. आइए जानते हैं कि हथेली में केतु पर्वत और क्या संकेत देता है.
-हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक हथेली में केतु पर्वत, मणिबंध के ऊपर और चंद्र पर्वत को बांटता हुआ भाग्य रेखा के मूल में होता है. अगर हाथ में केतु पर्वत पुष्ट और उन्नत होता हो साथ ही भाग्य रेखा भी अच्छी हो तो इंसान बेहद भाग्यशाली होता है. ऐसे लोग अपने जीवन में तमाम सुखों का आनंद लेते हैं. साथ ही ऐसे लोग गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद भी अपने कर्मों और भाग्य की बदौलत अमीर लोगों की श्रेणी में गिने जाते हैं.
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-अगर किसी इंसान की हथेली का केतु पर्वत बहुत अधिक पुष्ट है और भाग्य रेखा कमजोर है तो उसे बचपन में बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. साथ ही ऐसे लोगों के घर की आर्थिक स्थिति क्रमशः कमजोर होती चली जाती है. इसके अलावा ऐसे लोगों को शिक्षा प्राप्त करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ऐसे लोगों को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है.
-अगर हथेली का केतु पर्वत विकसित या पुष्ट नहीं है, लेकिन भाग्य रेखा प्रबल नहीं है तो ऐसे में जातक गरीबी का सामना करना पड़ता है. हालांकि अगर केतु पर्वत के विकसित होने के साथ-साथ भाग्य रेखा भी स्पष्ट और विकसित है तो व्यक्ति जीवन में काफी उन्नति करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)