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Akshaya Navami 2020: सौभाग्य के लिए आज रखें आंवला नवमी का व्रत, जानें पूजन विधि

इस साल अक्षय नवमी (Akshaya Navami) 23 नवंबर को मनाई जा रही है. इसे आंवला नवमी (Amla Navami) भी कहा जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.

शुभ है रवि योग

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शुभ है रवि योग

इस बार अक्षय नवमी के दिन दोपहर में 01.05 मिनट से रवि योग लग रहा है, जो कि 25 नवंबर तक रहेगा. इस दौरान किए गए जप-तप और दान का विशेष फल मिलता है. यह अक्षय तृतीया के फल के बराबर होता है. रवि योग का संबंध सूर्य से माना गया है और यह कई अशुभ योग व ग्रहों के प्रभव को दूर करने की क्षमता रखता है. इस योग में सूर्यदेव को जल अर्पित कर उनकी पूजा करें.

आंवला नवमी पर कैसे करें पूजन

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आंवला नवमी पर कैसे करें पूजन

यह व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता है. वे प्रातःकाल उठकर स्नान-ध्यान से निवृत होकर आंवले के वृक्ष के नीचे पहुंचती हैं. आंवले की विधिपूर्वक पूजा करती हैं. वे सामूहिक रूप से आंवले के पेड़ में धागा लपेटती हैं और फिर वहीं खाना पकाकर अपने परिजनों के साथ खाती हैं.

आंवले के पेड़ की पूजा से मिलेगा लाभ

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आंवले के पेड़ की पूजा से मिलेगा लाभ

इस पावन अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इस दिन पूजन करने वाले लोग आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ही भोजन भी ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि इससे विशेष फल मिलता है.

प्रचलित है पौराणिक कथा

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प्रचलित है पौराणिक कथा

आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की प्रथा की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी. कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण पर आईं. रास्ते में उनके मन में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा हुई. धरती पर आकर मां लक्ष्मी सोचने लगीं कि भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा एक साथ कैसे की जा सकती है. तभी उन्हें याद आया कि तुलसी और बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं. तुलसी भगवान विष्णु को और बेल शिवजी को प्रिय है.

आरोग्यता का आशीर्वाद है यह पर्व

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आरोग्यता का आशीर्वाद है यह पर्व

मान्यताओं के अनुसार, आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और शिवजी (Lord Shiva) आंवले में वास करते हैं. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से आरोग्यता और सुख-समृद्धि बनी रहती है.

कब है अक्षय नवमी

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कब है अक्षय नवमी

अक्षय नवमी इस साल आज यानी 23 नवंबर को है.  नवमी तिथि 22 नवंबर की रात 10:52 बजे से आरंभ होकर 23 नवंबर सोमवार रात्रि 12: 33 बजे तक रहेगी. इस पूजा का शुभ मुहूर्त 06: 45 बजे से 11:54 तक रहेगा. पूजा का कुल समय 5 घंटे 08 मिनट है.

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