पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तो वह एक विशालकाय अंडे जैसे थी. फिर ब्रह्माजी ने इसे शेषनाग की जीभ पर रख दिया. ऐसे में जब शेषनाग हिलते थे तो उससे धरती को नुकसान होता था. ब्रह्मा जी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा तो भगवान विश्वकर्मा ने मेरू पर्वत को जल में रखवा कर सृष्टि को स्थिर कर दिया. तब से ही भगवान विश्वकर्मा को दुनिया का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है.
विश्वकर्मा जयंती के दिन व्यापारियों, इंजीनियरों और औजारों-मशीनों से जुड़े लोगों को आज अपने औजारों-मशीनों का उपयोग नहीं करना चाहिए. इस दिन उन्हें आराम दें.
विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने मशीनों-औजारों की साफ-सफाई करें. ऐसा न करने से वे बार-बार खराब होती हैं और धन-हानि कराती हैं.
विश्वकर्मा जयंती के दिन मशीनों-औजारों की पूजा करें. उन पर हल्दी अक्षत और रोली लगाएं. भगवान विश्वकर्मा को अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि अर्पित करें. धूप दीप से आरती करें. ये सारी चीजें उन हथियारों पर भी चढ़ाएं जिनकी पूजा करनी है. पूजा के आखिर में भगवान विश्वकर्मा को नमन करें. सभी लोगों को प्रसाद बांटें.
गाड़ियों के बिना जिंदगी बहुत मुश्किल होती है. अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाली, साइकिल, स्कूटर, कार, बाइक या बिजनेस में उपयोग होने वाली गाड़ियों की आज पूजा जरूर करें. (सभी फोटो: सांकेतिक)
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)
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